संतान सुख मिलेगा या नहीं, बताती है ये रेखा
जीवन के एक सुख में संतान सुख भी शामिल है। व्यक्ति संतान प्राप्ति की इच्छा रखता है, लेकिन कुछ स्थितियां ऐसी भी होती हैं जिसमें संतान सुख नहीं मिल पाता। ऐसी अनेक दंपत्तियां हैं जो संतान पाने की इच्छुक

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जीवन के एक सुख में संतान सुख भी शामिल है। व्यक्ति संतान प्राप्ति की इच्छा रखता है, लेकिन कुछ स्थितियां ऐसी भी होती हैं जिसमें संतान सुख नहीं मिल पाता। ऐसी अनेक दंपत्तियां हैं जो संतान पाने की इच्छुक हैं, लेकिन संतान सुख नहीं मिल पा रहा। हस्तरेखा विज्ञान में संतान सुख के लिए बुध पर्वत और इस पर मौजूद रेखाओं का अध्ययन किया जाता है। जानिए रेखाओं के ऐसे ही योग के बारे में।
-यदि हाथ की कनिष्ठा उंगली में सबसे निचला पर्व बेहद छोटा हो और ऊपर के पर्व में विभाजन रेखा अस्पष्ट हो तो ऐसे लोगों को संतान से जुड़ी समस्याएं आएंगी। उंगली में तीसरा पर्व भौतिक सुखों के लिए जिम्मेदार होता है।
-यदि कनिष्ठा उंगली में तीसरे पर्व में नीचे की ओर विभाजन रेखा ना हो अथवा टूट गई हो या फिर बहुत छोटी सी हो तो ऐसे लोगों को संतान सुख नहीं मिल पाता। यदि संतान सुख मिलता भी है तो शादी के दशकों बाद।
-यदि तीसरे पर्व में नीचे की विभाजन रेखा टूटी हुई हो तो ऐसे लोगों को भी संतान से जुड़ी समस्याएं होती हैं। ऐसे लोगों को भी आसानी से संतान की प्राप्ति नहीं हो पाती।
-यदि बुध पर्वत मंगल पर्वत की ओर खिसक गया हो तो यह भी संतान सुख को प्रभावित करता है।
-छोटी उंगली यानी कनिष्ठा बहुत छोटी हो, टेढ़ी हो, तीसरा पर्व गायब हो अथवा बेहद छोटा तो संतान से जुड़ी समस्याएं होती ही हैं। इन योग के साथ ही बुध पर्वत मंगल पर्वत की ओर खिसक जाए तो संतान नहीं होगी।
-यदि इन सारे योग के बीच विवाह रेखा को आड़ी रेखाएं काटती हुई दिख रही हो तो इन लोगों के संतान जन्म तो लेती हैं, लेकिन वह बच नहीं पाती।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)