ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News AstrologyWhen is Achala Saptami 2021 Surya Saptami Date Shubh Muhurat Importance and Vrat Katha of Ratha Saptami

Achala Saptami 2021: संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है अचला सप्तमी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व व कथा

Achala Saptami 2021: माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी होता है। अचला सप्तमी को रथ, सूर्य और अरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है। इस साल अचला सप्तमी 19 फरवरी (शुक्रवार) है। अचला सप्तमी...

Achala Saptami 2021: संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है अचला सप्तमी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व व कथा
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 17 Feb 2021 12:02 PM
ऐप पर पढ़ें

Achala Saptami 2021: माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी होता है। अचला सप्तमी को रथ, सूर्य और अरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है। इस साल अचला सप्तमी 19 फरवरी (शुक्रवार) है। अचला सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से प्रकाश, धन, संपदा और संतान की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्य देव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। इस वजह से यह तिथि सूर्य देव के जन्मोत्सव या सूर्य जयंती के रूप में प्रचलित है। मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से सुंदर और गुणकारी संतान का वरदान मिलता है।

शीतला अष्टमी कब है? जानें इस दिन क्यों खाते हैं बासी खाना, महत्व, पूजा विधि व मान्यता

अचला सप्तमी शुभ मुहूर्त-

सप्तमी तिथि आरंभ- 18 फरवरी 2021 दिन गुरूवार को सुबह 8 बजकर 17 मिनट से
सप्तमी तिथि समाप्त- 19 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार सुबह 10 बजकर 58 मिनट तक
सप्तमी के दिन अरुणोदय- सुबह 6 बजकर 32 मिनट
सप्तमी के दिन अवलोकनीय (दिखने योग्य) सूर्योदय- सुबह 6 बजकर 56 मिनट।

मंगल ग्रह की 22 फरवरी को बदलेगी चाल, इन राशि वालों को होगा जबरदस्त लाभ

अचला सप्तमी को लेकर प्रचलित कथा-

अचला सप्तमी की एक कथा के अनुसार, एक गणिका इन्दुमती ने वशिष्ठ मुनि के पास जाकर मुक्ति पाने का उपाय पूछा। मुनि ने कहा, ‘माघ मास की सप्तमी को अचला सप्तमी का व्रत करो।' गणिका ने मुनि के बताए अनुसार व्रत किया। इससे मिले पुण्य से जब उसने देह त्यागी, तब उसे इन्द्र ने अप्सराओं की नायिका बना दिया। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल और सौष्ठव पर बहुत अधिक अभिमान हो गया था। शाम्ब ने अपने इसी अभिमानवश होकर दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया। दुर्वासा ऋषि को शाम्ब की धृष्ठता के कारण क्रोध आ गया, जिसके पश्चात उन्होंने को शाम्ब को कुष्ठ हो जाने का श्राप दे दिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र शाम्ब से भगवान सूर्य नारायण की उपासना करने के लिए कहा। शाम्ब ने भगवान कृष्ण की आज्ञा मानकर सूर्य भगवान की आराधना करनी आरम्भ कर दी। जिसके फलस्वरूप सूर्य नारायण की कृपा से उन्हें अपने कुष्ठ रोग से मुक्ति प्राप्त हो गई।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें