सक्सेस मंत्र : बुरे अनुभवों को पीछे छोड़कर अच्छी यादों की गिनती बढ़ाएं
हम सभी को कभी न कभी बुरों अनुभवों से गुजरना ही पड़ता है। अब सवाल यह उठता है कि बुरे अनुभव तो सभी को मिलते हैं, तो क्या सभी उन तकलीफदेह बातों के साथ ठहर जाते हैं? ऐसा तो नहीं होता है। हमारे बीच में ही...
हम सभी को कभी न कभी बुरों अनुभवों से गुजरना ही पड़ता है। अब सवाल यह उठता है कि बुरे अनुभव तो सभी को मिलते हैं, तो क्या सभी उन तकलीफदेह बातों के साथ ठहर जाते हैं? ऐसा तो नहीं होता है। हमारे बीच में ही कई लोग ऐसे भी होते हैं, हर परिस्थिति में सिर्फ मुस्कुराते रहते हैं। वह कभी नकारात्मक बातें नहीं करते हैं। जिंदगी भी कुछ ऐसी ही होती है। बुरे अनुभवों का रोना रोते रहेंगे, तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। उन्हें हम अपनी यादों से कभी बाहर नहीं कर सकते हैं, मगर अच्छी यादों की संख्या को तो बढ़ ही सकते हैं। ऐसा ही कुछ इस कहानी में भी बताया गया है।
एक कालेज का छात्र था जिसका नाम था रवि। हमेशा वह बहुत चुपचाप सा रहता था। किसी से ज्यादा बात नहीं करता था इसलिए उसका कोई दोस्त भी नहीं था। वह हमेशा कुछ परेशान सा रहता था। पर लोग उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। एक दिन वह क्लास में पढ़ रहा था। उसे गुमसुम बैठे देख कर अध्यापक महोदय उसके पास आए और क्लास के बाद मिलने को कहा।
क्लास खत्म होते ही रवि टीचर के कमरे में पहुंच गया। उन्होंने कहा, रवि मैं देखता हूं कि तुम अक्सर बड़े गुमसुम और शांत बैठे रहते हो, ना किसी से बात करते हो और ना ही किसी चीज में रूचि दिखाते हो, इसलिए इसका सीधा असर तुम्हारी पढ़ाई में भी साफ नजर आ रहा है। इसका क्या कारण है? टीचर ने पूछा।
रवि बोला, मेरा भूतकाल का जीवन बहुत ही खराब रहा है, मेरी जिंदगी में कुछ बड़ी ही दुखदाई घटनाएं हुई हैं, मैं उन्ही के बारे में सोच कर परेशान रहता हूं, और किसी चीज में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता हूं। प्रोफेसर ने ध्यान से रवि की बातें सुनी और मन ही मन उसे फिर से सही रास्ते पर लाने का विचार करके रविवार को घर पे बुलाया।
रवि निश्चित समय पर अध्यापक महोदय के घर पहुंच गया। उन्होंने रवि से पूछा, क्या तुम नींबू शरबत पीना पसंद करोगे? जी। रवि ने झिझकते हुए कहा। अध्यापक महोदय ने शरबत बनाते वक्त जानबूझ कर नमक अधिक डाल दिया और चीनी की मात्रा कम ही रखी। शरबत का एक घूंट पीते ही रवि ने अजीब सा मुंह बना लिया। उन्होंने पुछा, क्या हुआ, तुम्हे ये पसंद नहीं आया क्या?
जी, वो इसमें नमक थोड़ा अधिक पड़ गया है। रवि अपनी बात कह ही रहा था कि प्रोफेसर ने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा, ओफ्फो, कोई बात नहीं मैं इसे फेंक देता हूं। अब ये किसी काम का नहीं रहा। ऐसा कह कर अध्यापक महोदय गिलास उठा ही रहे थे कि रवि ने उन्हें रोकते हुए कहा, नमक थोड़ा सा अधिक हो गया है तो क्या, हम इसमें थोड़ी और चीनी मिला दें तो ये बिलकुल ठीक हो जाएगा।
बिलकुल ठीक रवि यही तो मैं तुमसे सुनना चाहता था। अब इस स्थिति की तुम अपनी जिंदगी से तुलना करो, शरबत में नमक का ज्यादा होना जिन्दगी में हमारे साथ हुए बुरे अनुभव की तरह है। और अब इस बात को समझो, शरबत का स्वाद ठीक करने के लिए हम उसमे में से नमक नहीं निकाल सकते, इसी तरह हम अपने साथ हो चुकी दुखद घटनाओं को भी अपने जीवन से अलग नहीं कर सकते, पर जिस तरह हम चीनी डाल कर शरबत का स्वाद ठीक कर सकते हैं उसी तरह पुरानी कड़वाहट और दुखों को मिटाने के लिए जिन्दगी में भी अच्छे अनुभवों की मिठास घोलनी पड़ती है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है :
- अगर हम अपने अतीत का ही रोना रोते रहेंगे तो ना हमारा वर्तमान सही होगा और ना ही भविष्य उज्जवल हो पाएगा।
- हम सभी अक्सर बंद होते हुए दरवाजे की तरफ इतनी देर तक देखते रहते हैं कि हमें खुलते हुए अच्छे दरवाजों की भनक तक नहीं लगती और हमारा जीवन दुखों के सागर में ही डूबा रह जाता है।
- जरूरी है कि हम अपनी पुरानी गलतियों या फिर तकलीफों को भूलना सीखें और जिंदगी को फिर से नई दिशा की और मोड़ें।