सक्सेस मंत्र: अपमान होने पर कभी भी उत्तेजित न हों- गौतम बुद्ध
बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध की जयंती के रूप में मनाई जाने वाली बौद्ध पूर्णिमा 30 अप्रैल को यानी कल थी। बैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध को बोधत्व(ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी और उन्होंने...
बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध की जयंती के रूप में मनाई जाने वाली बौद्ध पूर्णिमा 30 अप्रैल को यानी कल थी। बैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध को बोधत्व(ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी और उन्होंने लोगों को कल्याण का मार्ग दिखाना शुरू किया था। भगवान बुद्ध को मामने वाले आज भी उनके उपदेशों को मानते हैं। उनके ये उपदेश छोटी-छोटी कहानियों के रूप में भी प्रचलित हैं।
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यह समय की बात है गौतम बुद्ध किसी नगर गए। वहां की रानी के बारे में लोगों का कहना था कि वह बहुत क्रूर है। जब रानी को पता चला कि गौतम बुद्ध आ रहे हैं तो उसने सेवकों से उनका अनादर करने के लिए कहा। जैसे ही बुद्ध ने नगर में प्रवेश किया तो सेवकों ने अपशब्द कहे। लेकिन बुद्ध शांत रहे। यह बात उनके शिष्य आनंद को अच्छी नहीं लगी।
वह उनसे बोले हमें यहां से किसी ऐसे स्थान पर चले जाना चाहिए, जहां कोई हमारे साथ दुर्व्यवहार न करे।' बुद्ध ने कहा यह जरूरी नहीं है कि हम जहां जाएंगे, वहां जरूरी नहीं हमारा आदर हो। लेकिन यदि कोई अनादर कर रहा है तो उस स्थान को जब तक नहीं छोड़ना चाहिए तब तक वहां शांति स्थापित न हो जाए।
व्यक्ति का व्यवहार युद्ध में बढ़ते हुए उस हाथी की तरह होना चाहिए जो चारों ओर के तीरों को सहता रहता है, उसी तरह हमें दुष्ट पुरुषों के अपशब्दों को नजर अंदाज कर देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सबसे उत्तम तो वह है, जो स्वयं को वश में रखे। किसी भी बात पर कभी भी उत्तेजित न हो।
अपमान पर उत्तेजित होने की बजाय स्वयं को संतुलित रखना ही बुद्धिमानी है।