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तमस, रजस और सत्व गुणों पर विजय पाने का दिन है विजय दशमी

विजय दशमी के उत्सव का हमारे लिए न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है। दरअसल, दशहरा धर्म, जाति या पंथ के भेदभाव के बिना उल्लास और प्रेम के साथ मनाने का त्योहार है।

तमस, रजस और सत्व गुणों पर विजय पाने का दिन है विजय दशमी
Anuradha Pandeyसद्गुरु,नई दिल्लीTue, 24 Oct 2023 08:34 AM
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विजय दशमी श्रीराम की रावण पर विजय के साथ-साथ भौतिक दुर्बलताओं— तमस, रजस तथा सत्व गुणों के ऊपर विजय पाने का भी दिन है
विजय दशमी के साथ समाप्त होने वाले नवरात्र, सभी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक त्योहार है। यह एक ऐसा त्योहार है, जो पूरी तरह से देवी को समर्पित है। कर्नाटक में दशहरा चामुंडा के बारे में है, बंगाल में यह दुर्गा के बारे में है। इस तरह यह विभिन्न स्थानों में विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित है, लेकिन मूलत यह स्त्री देवी या स्त्री देवत्व के बारे में है।

नवरात्र बुराई और असत्य पर विजय पाने का त्योहार है। यह त्योहार जीवन के सभी पहलुओं और यहां तक कि उन सभी चीजों और वस्तुओं के प्रति श्रद्धा रखने के प्रतीकों से भरा हुआ है, जो हमारी भलाई में योगदान करते हैं। नवरात्र के नौ दिनों को तीन मूल गुणों तमस, रजस और सत्व के अनुसार माना गया है। पहले तीन दिन तमस हैं, जहां देवी दुर्गा और काली उग्र होती हैं। अगले तीन दिन रजस हैं। यह लक्ष्मी से संबंधित हैं— सौम्य लेकिन भौतिक रूप से उन्मुख देवी। अंतिम तीन दिन सरस्वती को समर्पित हैं, जो सत्व है। इसका संबंध ज्ञान और आत्मज्ञान से है।

इन तीनों गुणों को अलग-अलग ढंग से आत्मसात करने पर आपका जीवन एक नई दिशा धारण करेगा। यदि आप तमस गुण को अपने जीवन में अपनाते हैं, तो आप एक अलग तरह से शक्तिशाली होंगे। यदि आप रजस गुणों से संचालित होते हैं, तो आपका व्यक्तित्व एक अलग तरीके का होगा। यदि आप में सत्व गुणों की प्रधानता होगी, तो आपका व्यक्तित्व बिल्कुल अलग तरीके का होगा। लेकिन अगर आप जीवन में इस सब से परे जाते हैं, यानी अब आप शक्ति के बारे में नहीं, मुक्ति के बारे में सोचते हैं। नवरात्र के बाद दसवां और अंतिम दिन विजय दशमी है। इसका मतलब है कि आपने इन तीनों गुणों पर विजय पा ली है। आपने उनमें से किसी के भी आगे घुटने नहीं टेके। आपने उनमें से हर एक को देखा। आपने उनमें से हर एक में भाग लिया, लेकिन आप उनमें से किसी के भी वश में नहीं हुए। आपने उन पर विजय प्राप्त कर ली। इन तीनों गुणों पर विजय पाने का दिन है— विजय दशमी। इससे यह संदेश मिलता है कि कैसे हमारे जीवन में हर महत्त्वपूर्ण चीज के अधीन हुए बिना उनके प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता से सफलता और जीत मिलती है। कई चीजें जो हमारे जीवन को बनाने में योगदान देती हैं, उनमें सबसे महत्त्वपूर्ण उपकरण जो हम अपने जीवन को सफल बनाने में अपनाते हैं, वह है हमारा अपना शरीर और दिमाग। जिस धरती पर आप चलते हैं, जिस हवा में आप सांस लेते हैं, जिस पानी को आप पीते हैं, जिस भोजन को आप खाते हैं, जिन लोगों के संपर्क में आप आते हैं और उन सभी चीजों के प्रति, जिन्हें आप उपयोग करते हैं, जिनमें आपका शरीर और मन, हमें एक अलग संभावना की ओर ले जाता है कि हम कैसे जी सकते हैं। इन सभी पहलुओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण की स्थिति में रहना हमारे हर प्रयास में सफलता सुनिश्चित करने का एक तरीका है। परंपरागत रूप से भारतीय संस्कृति में दशहरा हमेशा नृत्यों से भरा उत्सव होता था, जहां पूरा समुदाय घुल-मिल जाता था और आपस में मिलता था।

 

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