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Vidur Niti: मुश्किलों में फंसा सकता है ऐसे लोगों का साथ, हमेशा बनाकर रखनी चाहिए उचित दूरी

जिस तरह से आचार्य चाणक्य की नीतियों को लोग आज भी मानते और अपनाते हैं। उसी तरह से महात्मा विदुर के विचारों को भी माना और अपनाया जाता है। विदुर जी की गिनती बुद्धिजीवियों में की जाती है। कहा जाता है कि...

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीTue, 5 Jan 2021 07:01 AM
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जिस तरह से आचार्य चाणक्य की नीतियों को लोग आज भी मानते और अपनाते हैं। उसी तरह से महात्मा विदुर के विचारों को भी माना और अपनाया जाता है। विदुर जी की गिनती बुद्धिजीवियों में की जाती है। कहा जाता है कि एक दासी पुत्र होने के कारण वह राजा नहीं बन सके। लेकिन हस्तिनापुर के हित में उन्होंने कई बड़े फैसले लिए थे। उनकी सलाह न केवल कौरव बल्कि धृतराष्ट्र और पांडव भी मानते थे। विदुर जी ने कई मसलों पर पितामह भीष्म भी सलाह लिया करते थे।

महात्मा विदुर ने विदुर नीति में श्लोक के जरिए बताया है कि अगर व्यक्ति अपनी भलाई चाहता है तो उसे कुछ लोगों से दूरी बना लेनी चाहिए। क्योंकि यह लोग खुद के साथ दूसरों का भी जीवन बर्बाद कर देते हैं।

1. मेहनत से जी चुराने वाला- कहते हैं कि जो लोग मेहनत से जी चुराते हैं, वह दूसरों को भी मेहनत नहीं करने देते हैं। विदुर जी कहते हैं कि ऐसे लोग न तो खुद सफल होते हैं और न ही दूसरों को सफल होने देते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए। मेहनत से भागने वाले लोगों पर मां लक्ष्मी कभी अपनी कृपा नहीं बरसाती हैं।

2. स्वार्थी- विदुर जी कहते हैं कि लोगों को स्वार्थ में अंधे हो चुके व्यक्ति से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए। जो केवल अपने बारे में ही सोचते हैं और अपना ही भला चाहते हैं। ऐसे लोग कुछ भी कर सकते हैं। यह अपने स्वार्थ के लिए अपनों का भी फायदा उठाने से नहीं चूकते हैं। महात्मा विदुर के अनुसार, स्वार्थी लोग केवल अपना हित चाहते हैं। चाहें उनके हित से दूसरों का बुरा क्यों न हो जाए, उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

3. लालची- विदुर नीति के अनुसार, व्यक्ति को लालची व्यक्ति की संगति नहीं करनी चाहिए। अपनी गलत इच्छाओं के कारण यह लोग कभी भी दूसरों के हित के बारे में नहीं सोचते हैं। विदुर जी कहते हैं कि लालची व्यक्ति भरोसे के लायक नहीं होते हैं। लालच का पर्दा इनकी आंखों में ऐसा होता है कि यह सही गलत का फर्क भूल जाते हैं।

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