ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News AstrologyVastu Shastra Tips for home temple idols ghar ke mandir ke murti ke niyam for Wealth success and Prosperity

घर के मंदिर में मूर्तियां रखने के क्या नियम हैं, जानें घर में कौनसी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए

घर का पूजा स्थल किस प्रकार होना चाहिए? मूर्तियां कैसी या कितनी होनी चाहिए? अकसर यह सवाल हम सबके मन में उठता है। ईश्वर का चिन्तन करने के लिए सबसे सरल उपाय है कि हम नित्यप्रति श्रद्धा-भक्ति से इष्टदेव...

घर के मंदिर में मूर्तियां रखने के क्या नियम हैं, जानें घर में कौनसी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए
पं. भानुप्रतापनारायण मिश्र,नई दिल्लीTue, 08 Dec 2020 11:52 AM
ऐप पर पढ़ें

घर का पूजा स्थल किस प्रकार होना चाहिए? मूर्तियां कैसी या कितनी होनी चाहिए? अकसर यह सवाल हम सबके मन में उठता है। ईश्वर का चिन्तन करने के लिए सबसे सरल उपाय है कि हम नित्यप्रति श्रद्धा-भक्ति से इष्टदेव का नाम मन ही मन लेते रहें। कहा भी गया है- कलियुग केवल नाम अधारा। लेकिन विधि-विधान से पूजा करने का एक अपना ही आनंद है। 

आप जानते ही हैं कि सनातन धर्म में पंचदेव पूजा के अलावा कुलदेवी-कुलदेवता की भी पूजा की जाती है। पंचदेवों में गणेश, दुर्गा, सूर्य, शिव और विष्णु हैं। इनकी पूजा सभी कार्यों में होती है। घर में किसी तरह का वास्तुदोष और नकारात्मकता न पैदा हो, इसके लिए हमें घर में पूजा स्थल जरूर बनाना चाहिए और इन पंच देवों को स्थापित करना चाहिए।  लेकिन घर में पूजा स्थल बनाने से पहले सही दिशा का चुनाव करना जरूरी है।

वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में पूजा स्थल होना चाहिए। शौचालय से सटा हुआ या शयनकक्ष में पूजा स्थल नुकसानदायक है। साथ ही पूजा स्थल में मूर्तियों को रखते हुए भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि घर के मंदिर में एक मूर्ति के बजाय अनेक देवमूर्तियों की पूजा करें। इससे कामना सुगमता से पूर्ण होती है। लेकिन घर में दो शालिग्राम, दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य, तीन दुर्गा मूर्ति और दो गोमती चक्र नहीं होने चाहिए। इससे परिवार में अशांति फैलती है और पूजा में मन भी नहीं लगता। पत्थर, काष्ठ, सोना या अन्य धातुओं की मूर्तियां ही घर में रखें। मूर्तियों की जगह पर देवी-देवताओं के सुंदर चित्र भी रख सकते हैं। 

आपको यह भी जानना चाहिए कि भगवान की मूर्तियां सजावट के लिए नहीं होतीं, इसलिए उनकी नित्य प्रति साफ-सफाई करके श्रद्धा-भक्ति से पूजा करें। संभव हो तो पंचदेवों को मौसमी फल अर्पित करें। गुड़, बताशा, शक्कर आदि का भोग लगाएं। घर में रखी मूर्तियों का जितना आदर-सम्मान करेंगे, उतना ही आप प्रसन्न रहेंगे। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है-यत: प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम्। स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानव:।।  अर्थात् जिस परमेश्वर से संपूर्ण प्राणियों की उत्पत्ति हुई है और जिससे यह समस्त जगत् व्याप्त है, उस परमेश्वर की अपने स्वाभाविक कर्मों द्वारा पूजा करके मनुष्य परम सिद्धि को प्राप्त हो जाता है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें