Ashada Amavasya 2021: पितरों को समर्पित है यह तिथि, जरूरतमंदों को करें दान
आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या कहा जाता है। इसके बाद से वर्षा ऋतु आरंभ होती है। अमावस्या तिथि पितरों की तिथि कहलाती है। इस तिथि पर चंद्रमा उदित नहीं होता। इस दिन दान करने से पितृ...
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आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या कहा जाता है। इसके बाद से वर्षा ऋतु आरंभ होती है। अमावस्या तिथि पितरों की तिथि कहलाती है। इस तिथि पर चंद्रमा उदित नहीं होता। इस दिन दान करने से पितृ दोष, छाया दोष, मानसिक समस्याएं दूर होती हैं। अमावस्या के दिन पितरों के निमित दान अवश्य करना चाहिए।
पितरों की शांति के लिए अमावस्या को गीता पाठ करें। अमावस्या के दिन पीपल का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है। अमावस्या के दिन भूखे को भोजन कराने का विशेष महत्व है। इस दिन व्यस्नों से दूर रहें। किसी भी तरह से धन उधार नहीं लें। नई वस्तु की खरीदारी भी न करें। भोजन से पूर्व गाय, श्वान और पक्षी के लिए भोजन का कुछ अंश निकालकर खिलाएं। इस तिथि पर घर में पूरी तरह से साफ सफाई करें। गंगाजल का छिड़काव करें। अमावस्या को खीर बनाकर ब्राह्मण को भोजन कराएं। अमावस्या तिथि पर वृक्ष लगाना चाहिए, इससे पुण्यफल की प्राप्ति होती है। अमावस्या पर पीपल के पेड़ के नीचे सरसों का तेल जलाना शुभ माना जाता है। पितरों की तृप्ति के लिए शिवलिंग पर पितरों के नाम से गंगाजल एवं बेलपत्र अर्पित करें। अमावस्या के दिन तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। इससे पितरों को मुक्ति मिलती है। घर में तुलसी का पौधा परिवार के सदस्यों की रक्षा करता है। मान्यता है कि इस दिन दान देने से यह पूर्वजों को प्राप्त होता है। इस दिन पीले कपड़े पहनकर पूर्वजों का ध्यान करें। भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें और श्रीयंत्र स्थापित करें। इस दिन काली चींटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं। अमावस्या के दिन घर में शिव पूजन एवं हवन कराएं।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।