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Govardhan Puja: गोवर्धन पूजा के लिए उमड़ा हजारों भक्तों का रेला

मैं तो गोवर्धन कू जाऊ सखी, नाई माने मेरो मनुआ। तन पर पीताम्बर, सिर पर व्यंजनों की टोकरियां रख, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण में मदमस्त, बैंडबाजों की मधुर सुर लहरियों के बीच नाचते थिरकते, कदम दर कदम आगे बढ़...

Govardhan Puja: गोवर्धन पूजा के लिए उमड़ा हजारों भक्तों का रेला
हरिओम चौधरी,गोवर्धनThu, 08 Nov 2018 10:43 PM
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मैं तो गोवर्धन कू जाऊ सखी, नाई माने मेरो मनुआ। तन पर पीताम्बर, सिर पर व्यंजनों की टोकरियां रख, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण में मदमस्त, बैंडबाजों की मधुर सुर लहरियों के बीच नाचते थिरकते, कदम दर कदम आगे बढ़ रहे थे। सज-धज कर भारतीय लिबास में हजारों देशी-विदेशी भक्त गिरिराज गोवर्धन पूजा को गोवर्धन आए। शोभा यात्रा गोडिया मठ से प्रारंभ हुई और बस स्टैंड, सौंख अड्डा, दान घाटी मन्दिर, बड़ा बाजार, हाथी दरवाजा, चक्लेश्वर होकर राजा के मन्दिर पहुंची।

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सिर पर मटकी रखे गिरिराज पूजा को लम्बी लम्बी कतारों में एकत्रित होकर अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन पूजा में छप्पन तरह के व्यंजनों को अर्पण करने के लिए तन पर शुद्ध देशी लिबास तथा मटकी रख कर बैण्ड बाजों के साथ नाचते थिरकते चल रहे थे। भक्तों ने गिरधारी गोड़ीयामठ से गिरिराज परिक्रमा के किनारे कुसुम सरोवर के पास श्याम कुटी पर छप्पन भोग व अन्नकूट कर गिरिराज जी पर दुग्धाभिषेक किया। सिर पर माखन मिश्री के कलश व मुख से हरिनाम संकीर्तन करते देशी व विदेशी श्रद्धालु रैला के साथ आगे गिरिराज पर्वत की ओर बढ़ रहे थे। गौड़ीया वेदान्त समिति द्वारा आयोजित गिरि गोवर्धन पूजा कृष्ण की नगरी में साक्षात द्वापरकाल की तरह नजारा दिख रहा था। 

 

गिरिराज तलहटी में विश्व प्रसिद्ध गोवर्धन पूजा गुरूवार को प्रातः गिरिधारी गौड़ीयामठ से बैण्डबाजों के साथ गौड़ीया सम्प्रदाय से जुड़े सैकडों देशी-विदेशी श्रद्धालुओं द्वारा अपने ईष्ट भगवान श्री कृष्ण को पूजने राधाकुण्ड परिक्रमा मार्ग श्याम कुटी पर पहुंचकर गिरिराज पर्वत पर छप्पन भोग विराजमान कर गिरिराज शिला पर दूध, दही व माखन से स्नान कराकर पूजा अर्चना की।

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यहां से आये गोवर्धन पूजा के लिए भक्त
गिरिराज तलहटी में गोवर्धन पूजा को देशी व विदेशी श्रद्धालु अमेरिका, इंग्लैण्ड, रशिया, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि जगह से हर वर्ष की भांति गोवर्धन में गिरिराज पूजा के लिए आए। मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपने सखाओं के साथ पर्वत को कन्नी उंगली पर उठाकर गिरिराज पूजा शुरू की थी। तभी से गोवर्धन गिरिराज पर्वत को अपना आराध्य मानकर देश विदेश से श्रद्धालु गोवर्धन आकर बृजवासियों के साथ गिरिराज पूजा करते हैं।

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