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चंद्रग्रहण के चलते खास है इस बार गुरु पूर्णिमा

हिन्दू धर्म में सभी पूर्णिमा में गुरु पूर्णिमा को सर्वश्रेष्‍ठ माना जाता है। इस बार 16 जुलाई को पड़ रही यह पूर्णिमा बहुत खास है। इसका कारण है इस तिथि पर बनने वाला महासंयोग। इस बार पूर्णिमा पूर्वा...

चंद्रग्रहण के चलते खास है इस बार गुरु पूर्णिमा
लाइव हिन्दुस्तान टीम, मेरठ Mon, 15 Jul 2019 07:45 PM
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हिन्दू धर्म में सभी पूर्णिमा में गुरु पूर्णिमा को सर्वश्रेष्‍ठ माना जाता है। इस बार 16 जुलाई को पड़ रही यह पूर्णिमा बहुत खास है। इसका कारण है इस तिथि पर बनने वाला महासंयोग। इस बार पूर्णिमा पूर्वा साढ़ नक्षत्र, मित्र योग, धनु और मकर की संधि राशि में पड़ रही है। इसके अलावा इसी दिन चंद्रग्रहण भी पड़ रहा है, जिससे इसका महत्‍व बढ़ गया है।

हिंदू धर्म ग्रंथों में गुरु का स्थान ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर गुरु रूठ जाए तो उन्हें भगवान भी नहीं मना सकते। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।

हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ महाभारत और 18 पुराणों की रचना करने वाले वेद व्यास की पूजा गुरु पूर्णिमा के दिन ही की जाती है। वेद व्यास को आदि गुरु माना जाता है, मान्यता है कि वेद व्यास का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस कारण इसे व्यास पूजा (पूर्णिमा) के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि भगवान बुद्ध को मानने वाले इस पर्व को भगवान बुद्ध की याद में मनाते हैं तो कहीं-कहीं भगवान शिव की पूजा भी की जाती है।

पंडित राजीव शास्त्री के अनुसार बार गुरु पूर्णिमा पर विशेष संयोग बन रहा है। बताया कि इस बार पूर्णिमा पूर्वा साढ़ नक्षत्र, मित्र योग, धनु और मकर की संधि राशि में पड़ रही है। इसके अलावा इसी दिन चंद्रग्रहण के चलते कई राशियों के लिए लाभप्रद रहेगी। विद्यार्थियों के लिए ये महासंयोग काफी कल्याणकारी रहेगा।  

पूजन का महत्‍व
गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरु की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। गुरु की दी गई शिक्षा के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं। बताया गया है कि इस दिन गुरुजनों की यथा संभव सेवा करने से सभी प्रकार के कष्‍ट दूर होते हैं।

कैसे करें पूजन
स्नान कर साफ वस्‍त्र धारण करें। गुरु के पास वस्त्र, फल, फूल आदि लेकर जाएं और  दक्षिणा देकर गुरु का आशीर्वाद लें। अगर वे शांत हो चुके हैं या गुरु के पास नहीं जाना हो रहा है तो उनके चित्र पर माला चढ़ाकर उनका स्मरण कर आशीर्वाद लें। इसके अलावा माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरु तुल्य समझकर उनकी सेवा करनी चाहिए।

 

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