संतान को कष्टों से बचाता है यह व्रत
आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी मनाई जाती है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। संतान को किसी प्रकार का कष्ट या रोग हो तो यह व्रत संतान को इन...
आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी मनाई जाती है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। संतान को किसी प्रकार का कष्ट या रोग हो तो यह व्रत संतान को इन सबसे बचाता है। यह व्रत संतान षष्ठी नाम से भी जाना जाता है।
इस व्रत पर भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। भगवान कार्तिकेय के पूजन से रोग, दुख और दरिद्रता दूर होती है। भगवान स्कन्द को मुरुगन और कार्तिकेय नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कन्द शक्ति के देव हैं। देवताओं ने इन्हें अपना सेनापति पद प्रदान किया है। स्कन्द देव, भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र और भगवान श्रीगणेश के बड़े भाई हैं। मोर इनका वाहन है। इनकी पूजा करने वाला युद्ध में विजयी होकर सेनापति, राजनीति में उच्च पद प्राप्त करता है।
इस व्रत को रखने से काम, क्रोध, अहंकार से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने वालों को मांस, शराब, प्याज, लहसुन का त्याग करना चाहिए। कहा जाता है कि स्कन्द षष्ठी पर व्रत रखने से च्यवन ऋषि को नेत्र ज्योति प्राप्त हुई।