दुर्लभ है यह व्रत, समस्त पापों का करता है नाश
अधिकमास में शुक्ल पक्ष एकादशी को पद्मिनी या कमला एकादशी कहा जाता है। कमला एकादशी दुर्लभ मानी जाती है। यह तभी आती है जब अधिकमास यानी मलमास लगता है। मलमास का महीना भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।...
अधिकमास में शुक्ल पक्ष एकादशी को पद्मिनी या कमला एकादशी कहा जाता है। कमला एकादशी दुर्लभ मानी जाती है। यह तभी आती है जब अधिकमास यानी मलमास लगता है। मलमास का महीना भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
प्रत्येक वर्ष 24 एकादशी होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है, तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। कमला एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है। इस व्रत के प्रभाव से मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। इस व्रत में भगवान विष्णु और उनके रूपों की पूजा की जाती है। इस दिन जरूरतमंदों को तिल, वस्त्र, धन, फल एवं मिठाई आदि का दान करना चाहिए। जो लोग व्रत नहीं भी करते हों वह भी इन चीजों का दान करें।
इस व्रत में श्वेत वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें। कमला एकादशी के व्रत वाली रात में भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए भजन- कीर्तन करना चाहिए। व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि को भगवान का पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराने और दान देने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण कर व्रत खोलना चाहिए।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।