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प्लाट लेने की सोच रहे हैं या फिर घर बनाने की तो यह ध्यान रखिए

अपने घर का सपना सभी व्यक्तियों का होता है। व्यक्ति इसके लिए सभी योजनाएं भी बनाता है। वास्तु में भूखंड के आकार-प्रकार को लेकर भी बहुत सी बातें कही गई हैं। चूंकि जिस घर में रहेंगे वह भूखंड पर ही बना...

प्लाट लेने की सोच रहे हैं या फिर घर बनाने की तो यह ध्यान रखिए
पंचांग पुराण टीम ,मेरठ Tue, 24 Nov 2020 12:41 PM
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अपने घर का सपना सभी व्यक्तियों का होता है। व्यक्ति इसके लिए सभी योजनाएं भी बनाता है। वास्तु में भूखंड के आकार-प्रकार को लेकर भी बहुत सी बातें कही गई हैं। चूंकि जिस घर में रहेंगे वह भूखंड पर ही बना होगा और उसकी वास्तु पूरे परिवार को प्रभावित करती है। ज्योतिषाचार्य पं.शिवकुमार शर्मा से जानिए भूखंड का आकार-प्रकार कैसा हो और यह कितने तरह के होते हैं।

आयताकार भूखंड: आयताकार भूखंड उसे कहते हैं जिसमें लंबाई और चौड़ाई अलग-अलग हो। विशेष रुप से आयताकार भवनों में सबसे श्रेष्ठ भवन वह होता है जिसमें लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 1:2 हो। अर्थात लंबाई, चौड़ाई की दुगुनी होती है। ऐसा भूखंड आवास  एवं व्यवसाय  के लिए बहुत श्रेष्ठ माना गया है। ऐसे भूखंड पर आवास बनाने से घर में सुख-समृद्धि एवं शांति का भाव रहता है।

वर्गाकार भूखंड: वर्गाकार भूखंड वह होता है, जिसकी लंबाई-चौड़ाई बराबर होती है।  ऐसे भूखंड को अति उत्तम माना गया है। इसमें मकान बनाने से व्यक्ति निरंतर प्रगति करता है। हर कार्य क्षेत्र में उसे सफलता मिलती है और सुख पूर्वक जीवन बिताता है। ऐसे भूखंड पर रहने वाले लोग निर्दोष,आज्ञाकारी और अनुशासित माने जाते हैं।

मूसलाकार भूखंड: ऐसा भूखंड जिसकी लंबाई, चौड़ाई से तीन गुना से अधिक होती है। जैसे चौड़ाई 15 फुट और लंबाई 60 फुट। ऐसे भूखंड वास्तु की दृष्टि से शुभ नहीं होते हैं। किंतु कुछ विशेष उपाय करने से वे लाभ देते हैं। 

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त्रिभुजाकार भूखंड: जो भूखंड त्रिभुज की तरह होते हैं। अर्थात जिनकी तीन भुजाएं होती हैं वह त्रिभुजाकार भूखंड कहलाते हैं। ऐसे भूखंड निवास के लिए अशुभ होते हैं‌, लेकिन उनको वास्तु के अनुरूप आयताकार या वर्गाकार बनाकर उपयोग कर सकते हैं। तीनों कोणों में शेष भाग को अन्य कार्यों के लिए प्रयोग कर सकते हैं। ऐसे भूखंडों में मकान बनाने से पहले वास्तु के अनुसार ठीक करले। क्योंकि त्रिकोण में बना हुआ मकान गृह स्वामी के लिए मृत्यु कारक होता है।

मृदंगाकार भूखंड: जो भूखंड मृदंग अर्थात ढोलक के आकार के होते हैं उन्हें मृदंगाकार भूखंड कहते हैं। ऐसे भूखंड आवास के लिए शुभ नहीं होते। ऐसी भूखंड पर मकान बनाने से घर में आर्थिक समस्याएं लगातार बनी रहती हैं। कोई भी कार्य समय से नहीं होता है। त्रिकोण आकार भवनों की तरह ऐसे भूखंडों में भी वास्तु के नियमानुसार आयताकार या वर्गाकार बनाकर प्रयोग कर सकते हैं।

वृत्ताकार भूखंड: गोल भूखंड वृत्ताकार कहलाते हैं। ऐसे भूखंड आवास के लिए अशुभ होते हैं। घर की प्रगति नहीं हो पाती है। घर को उचित ऊर्जा नहीं मिल पाती है। घर के सदस्यों का स्वास्थ्य  खराब रहता है। ऐसे भूखंड साधु-सन्यासियों, मठ मंदिरों के लिए अच्छे होते हैं। वहां निवास करने से उनकी तपोबल में वृद्धि होती है। मंदिर आदि बनाने से वहां ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है, इसलिए ऐसे भूखंडों को मठ मंदिर आदि धार्मिक स्थानों में प्रयोग कर सकते हैं। 

गोमुखाकार भूखंड: जो भूखंड आगे से गोमुख के आकार के होते हैं अर्थात दोनों साइड समान रूप से छोटी होती जाती हैं, उन्हें गोमुखाकार भूखंड कहते हैं। ऐसे भूखंडों पर मकान बनाने से घर में निरंतर वृद्धि होती है। घर के सदस्यों में परस्पर प्रेम, सौहार्द और विश्वास रहता है वास्तु शास्त्र में ऐसे भूखंड निवास के लिए बहुत शुभ माने गए हैं।

सिंहमुखाकार भूखंड: ऐसे भूखंड जिनका सामने वाला भाग दोनों ओर से बराबर बढ़ता चलाता है जो सूप के आकार के होते हैं, उन्हें सिंहमुखी भूखंड कहते हैं। ऐसे भूखंडों पर व्यापारी गतिविधियों के लिए दुकान, कार्यालय ,ऑफिस, कारखाना, फैक्ट्री आदि का निर्माण शुभ होता है। आवास के लिए ऐसी भवन शुभ नहीं होते।

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षटकोण या अष्टकोण के आकार के भूखंड: ऐसे भूखंड की भुजाएं छह या आठ होती हैं। ऐसे भूखंडों पर मकान बनाना दुर्भाग्यपूर्ण होता है। जीवन भर दुर्भाग्य पीछा नहीं छोड़ता है। हमेशा घर में कोई न कोई परेशानी आती रहती है। इसलिए ऐसे भूखंडों का त्याग करना ही चाहिए।

भद्रासनाकार भूखंड: ऐसे भूखंड जिनकी लंबाई-चौड़ाई समान हो। मध्य भाग समतल हो और खाली हो। ऐसा भूखंड भद्रासनाकार का भूखंड होता है। ऐसे भूखंड पर मकान बनाना बहुत ही शुभ माना गया है। चारों ओर से लक्ष्मी का आगमन होता है और यश, कीर्ति, समृद्धि निरंतर उस घर में निवास करती हैं।

एल आकार के भूखंड: ऐसे भूखंड जो अंग्रेजी के एल आकार के होते हैं, वे निवास की दृष्टि से शुभ नहीं होते। ऐसे भूखंडों को दो अथवा तीन भागों में बांट कर भवन बनाना चाहिए। एल आकार में खाली स्थान यदि उत्तर पूरब दिशा होती है वहां कदापि मकान न बनाया जाए। क्योंकि जिस भूखंड का उत्तर पूरब भाग ही ना हो उसमें प्रगति की आशा करना व्यर्थ है।

टी आकार के भूखंड: अंग्रेजी के टी अक्षर के आकार के भूखंड भी शुभ नहीं होते हैं। उन्हें वास्तु के नियमों अनुसार परिवर्तन करके  दो या तीन भागों में बांट कर मकान बनाया जा सकता है। ऐसे भवन आवास के लिए अशुभ ही होते हैं।

बड़े भूखंडों में आवास योजना: यदि आपके पास बड़ा भूखंड है या आप बड़ा भूखंड लेने का सोच रहे हैं ऐसे भूखंडों पर मकान बनाना शुभ होता है। उपरोक्त विवरण के अनुसार  यदि भूखंड आयताकार वर्गाकार भद्रासन आकार आदि का होता है तो आपके लिए बहुत ही श्रेष्ठ रहेगा। बड़े-बड़े शहरों में पॉश कॉलोनियों में ऐसे घर देखने को मिलते हैं। घरों के चारों ओर बाउंड्री वाल या परकोटा बनाया जाता है। वास्तव में वास्तु के अनुसार ऐसे भवन बहुत ही शुभ होते हैं। 
  (इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

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