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ऐसी महिलाएं होती हैं जरूरत से ज्यादा खर्चीली

हाथों में दिखाई देने वाली रेखाओं का हमारे भविष्य से गहरा संबंध है। इन रेखाओं के अध्ययन से हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं की भी जानकारी मिल सकती है। वैसे तो हथेली की सभी रेखाओं का अलग-अलग महत्व होता...

ऐसी महिलाएं होती हैं जरूरत से ज्यादा खर्चीली
लाइव हिन्दुस्तान ,नई दिल्लीSun, 06 May 2018 08:49 PM
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हाथों में दिखाई देने वाली रेखाओं का हमारे भविष्य से गहरा संबंध है। इन रेखाओं के अध्ययन से हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं की भी जानकारी मिल सकती है। वैसे तो हथेली की सभी रेखाओं का अलग-अलग महत्व होता है। किसी व्यक्ति को कितना मान-सम्मान और पैसा मिलेगा यह भी रेखाओं से मालूम हो जाता है। आइए जानते हैं इन रेखाओं से जुड़ी कुछ खास बातें- 

दो उंगलियों के बीच की खाली जगह का मतलब

जिन महिलाओं की उंगलियां छोटी होती हैं, वे जरूरत से ज्यादा खर्चीली होती हैं। दोनों हाथों की उंगलियों को जोड़ने पर उनके बीच यदि खाली जगह दिख रहे हैं तो इसका मतलब भी उनका खर्चीला होना ही है। ऐसी महिलाओं का भविष्य काफी कठिनाइयों से भरा होता है।

रिसीवर का काम करती है उंगलियां

हाथ की उंगलियों के बारे में मेरा निष्कर्ष है कि उंगलियां मस्तिष्क में तैयार विद्युत तरंगों को व्यक्ति के शरीर से बाहर बिखेरने के लिए ट्रांसमीटर (प्रेषित करने) जैसा काम करती हैं और व्यक्ति के आसपास के वातावरण में फैली विद्युत तरंगों को मस्तिष्क तक पहुंचाने के लिए ये ही उंगलियां रिसीवर (ग्रहण करने) का काम भी करती है।

मनोभावों को नियंत्रित करते हैं हथेली के पर्वत

हथेली के अलग-अलग क्षेत्र, जिन्हें हस्तरेखा शास्त्र में हथेली के पर्वत कहा जाता है, वे चुंबकीय केंद्र हैं। इन केंद्रों का मस्तिष्क के उन केंद्रों से संबंध है जो मानव के मनोभावों पर नियंत्रण करते हैं। हथेली के ये पर्वत मस्तिष्क में तैयार होने वाली विद्युत तरंगों को आकृष्ट करते हैं और हस्तरेखाएं उन तरंगों के मार्ग हैं।

यह होता है गुरु पर्वत

मस्तिष्क का जो केंद्र व्यक्ति के अहं भाव का नियंत्रण करता है उसका हथेली के जिस भाग से संबंध है उसे गुरु पर्वत कहते हैं। मस्तिष्क का जो केंद्र व्यक्ति की अंतर्मुखता का नियंत्रक है, उसका संबंध हथेली के उस भाग से है जिसे हस्त विज्ञान में शनि पर्वत कहा जाता है। इसी प्रकार मस्तिष्क का जो केंद्र व्यक्ति की बहिर्मुखता का नियंत्रण करता है, हथेली में उस केंद्र से संबंधित भाग को सूर्य पर्वत कहते हैं। इसी प्रकार मस्तिष्क के अलग-अलग भावों से संबंधित हथेली के मार्ग को बुध, शुक्र, चंद्र तथा मंगल पर्वत कहा गया है।

कलाई में होती है मणिबंध रेखाएं

कलाई पर मौजूद आड़ी रेखाएं मणिबंध रेखाएं कहलाती है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार कलाई पर दिखाई देने वाली इन रेखाओं से व्यक्ति के जीवन और भाग्य की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इन रेखाओं के आधार पर व्यक्ति की आयु का भी आंकलन किया जा सकता है। हर व्यक्ति की कलाई में मणिबंध रेखा की संख्या अलग-अलग होती है।

मणिबंध रेखाएं बताती हैं आयु 

ज्योतिषशास्त्र की मान्यता जिस व्यक्ति की कलाई पर चार मणिबंध रेखाएं बनती हैं उनकी आयु सौ वर्ष हो सकती है। जिसकी कलाई में तीन मणिबंध रेखाएं होती है। उनकी आयु 75 वर्ष की होती है। दो रेखाएं होने पर 50 वर्ष और एक मणिबंध होने पर आयु 25 वर्ष मानी जाती है। यानी एक मणिबंध रेखा लगभग 25 वर्ष के अंतराल को दर्शाती है।

यह चिह्न होता है सौभाग्य का सूचक 

यदि मणिबंध रेखाएं टूटी हुई हों या छिन्न-भिन्न हो तो उस व्यक्ति के जीवन में बराबर बाधाएं आती रहती है। मणिबंध रेखा जंजीरदार होने पर व्यक्ति को जीवन में बहुत सारी उलझनों का सामना करना पड़ता है। इसके विपरित यदि ये रेखाएं निर्दोष और स्पष्ट हो तो प्रबल भाग्योदय होता है। मणिबंध पर यव यानी गेहूं की आकृति के समान चिन्ह हो तो यह चिन्ह सौभाग्य सूचक माना जाता है।

यह देता है दुर्घटना के संकेत 

मणिबंध रेखा पर द्वीप का चिन्ह होना जीवन में अनेक दुर्घटनाओं का संकेत देता है। दो मणिबंध रेखाओं का आपस में मिल जाना दुर्भाग्यशाली माना जाता है। इससे दुर्घटना में शरीर के किसी अंग की विशेष क्षति का संकेत मिलता है। मणिबंध की रेखाएं जितनी अधिक स्पष्ट और गहरी होती है। उतनी ही ज्यादा अच्छी मानी जाती है।

ऐसा हो तो पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं

हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार मणिबंध से कोई रेखा निकलकर ऊपर की ओर जाती है तो ऐसे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। यदि मणिबंध से कोई रेखा निकलकर चन्द्र पर्वत पर जाए तो ऐसा व्यक्ति जीवन में कई विदेश यात्राएं करता है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य व सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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