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मां दुर्गा के ये रूप जो आपको जानने चाहिए

बुधवार से चैत्र नवरात्र शुरू हो चुके हैं। इन्‍हें वासंतिक नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र नवरात्र के साथ ही नव सम्‍वत्‍सर की शुरुआत भी हो चुकी है। नवरात्र में नौ दिनों तक मां...

Praveen हिन्‍दुस्‍तान टीम, मेरठWed, 25 March 2020 02:09 PM
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मां दुर्गा के ये रूप जो आपको जानने चाहिए

बुधवार से चैत्र नवरात्र शुरू हो चुके हैं। इन्‍हें वासंतिक नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र नवरात्र के साथ ही नव सम्‍वत्‍सर की शुरुआत भी हो चुकी है। नवरात्र में नौ दिनों तक मां दुर्गा की अलग-अलग शक्तियों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के हर रूप की अपनी-अपनी विशेषता होती है और नवरात्रों में मां के हर रूप की पूजा होती है। जानिए मां दुर्गा के किस रूप की पूजा का क्‍या है अर्थ।

शैलपुत्री: ये नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिन इनकी पूजा और उपासना होती है। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है।

ब्रह्मचारिणी: नवरात्र पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना होती है। साधक इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमण्डल रहता है।

चंद्रघंटा: मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है। इस दिन साधक का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है।

कुष्माण्डा: नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘अदाहत’ चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कुष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए।

स्कंदमाता: नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। मां अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।

कात्यायनी देवी: कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती के नौं रूपों में छठवां रूप है। यह अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम हैं।

कालरात्रि: मां दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है।

महागौरी- मां दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है।

सिद्धयात्री- सिद्धयात्री मां अपने भक्त को सिद्ध प्राप्त करवाती हैं और उन्हें शक्तियां प्रदान करती हैं।

(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

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