भाई दूज के दिन भाईयों को बहनों के घर करना चाहिए भोज, जानें वेदों में इसका क्या बताया गया है महत्व
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि और मंगलवार का दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा। इसे 'भ्रातृ द्वितीया और यम द्वितीया' के नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार से कई मान्यता जुड़ी हुई है,...
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि और मंगलवार का दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा। इसे 'भ्रातृ द्वितीया और यम द्वितीया' के नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार से कई मान्यता जुड़ी हुई है, जिसमें से एक मान्यता है कि इस दिन भाई बहन के घर भोजन करता है। जानते हैं क्या है इसका प्रतीक-
वेदों में मिलता है इसका महत्व
भाई दूज के दिन भाई द्वारा अपनी बहन के घर में भोजन करने की परंपरा है। ऋगवेद में वर्णन मिलता है कि यमुना ने अपने भाई यम को इस दिन खाने पर बुलाया था, इसीलिए इस दिन को यम द्वितिया के नाम से जाना जाता है। पद्मपुराण में भी आया है कि जो व्यक्ति इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करता है, वो साल भर किसी झगड़े में नहीं पड़ता और उसे शत्रुओं का भय नहीं होता है, यानी हर तरह के संकट से भाई को छुटकारा मिलता है और उसका कल्याण होता है | लेकिन अगर आपकी अपनी बहन न हो तो चाचा, बुआ या मौसी की बेटी को अपनी बहन मानकर उसके साथ भइया दूज मनाना चाहिए और अगर वो विवाहित है तो उसके घर जाकर भोजन करना चाहिए।
यह पूजन विधि है शुभ
भाईदूज के दिन सभी बहनें सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद पूजा की थाली तैयार करें। इस थाली में रोली, चावल, मिठाई, नारियल, घी का दीया, सिर ढकने के लिए रूमाल आदि रखें | इसके साथ ही घर के आंगन में आटे या चावल से एक चौकोर आकृति बनाएं और गोबर से बिल्कुल छोटे-छोटे उपले बनाकर उसके चारों कोनों पर रखें और पास ही में पूजा की थाली भी रख लें। अब उस आकृति के पास भाई को आसन पर बिठा दें और भाई से कहें कि वो अपने सिर को रूमाल से ढक ले। अब दीपक जलाएं और भाई दूज की कथा सुनें। फिर भाई के माथे पर रोली, चावल का टीका लगाएं और उसे मिठाई खिलाएं। साथ ही भाई को नारियल दें। इसके बाद भाई अपनी बहन को कुछ उपहार स्वरूप जरूर दें। इससे भाई-बहन के बीच प्यार और सम्मान बढ़ता है।