व्रत और त्योहारों का माह है भाद्रपद
हिंदू पंचांग में वर्ष का छठा माह भाद्रपद है। यह माह चातुर्मास के चार पवित्र महीनों का दूसरा माह है। इस माह कई व्रत, त्योहार मनाए जाते हैं। भाद्रपद माह में कृष्ण तृतीया को कजली तीज नाम से जाना जाता...
हिंदू पंचांग में वर्ष का छठा माह भाद्रपद है। यह माह चातुर्मास के चार पवित्र महीनों का दूसरा माह है। इस माह कई व्रत, त्योहार मनाए जाते हैं। भाद्रपद माह में कृष्ण तृतीया को कजली तीज नाम से जाना जाता है। इस माह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष द्वादशी को वत्स द्वादशी मनायी जाती है। इसमें परिवार की महिलाएं गाय एवं बछड़े का पूजन करती हैं। यह पर्व बच्चों की सुख-शांति से जुड़ा हुआ है। भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं करने चाहिए। भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को देवझूलनी एकादशी मनाई जाती है। इस व्रत में भगवान विष्णु की उपासना का विधान है। इस माह शुक्ल पक्ष में चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का त्योहार आता है। यह भगवान विष्णु के अनन्त स्वरूप पर आधारित है। इस दिन एक बार भोजन किया जाता है।
भाद्रपद माह में अमावस्या पर धार्मिक कार्यों के लिए कुश एकत्रित की जा सकती है। मान्यता है कि इस दिन कुश एकत्र की जाए तो यह वर्षभर तक पुण्य फलदायी होती है। यदि भाद्रपद अमावस्या सोमवार के दिन हो तो इस कुश का प्रयोग 12 वर्षों तक किया जा सकता है। कुश एकत्रित करने के कारण ही इसे कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है। भाद्रपद माह में पलंग पर सोना, झूठ बोलना, दूसरे का दिया भोजन करना, हरी सब्जी, मूली एवं बैंगन आदि का त्याग कर देना चाहिए।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।