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Hindi News AstrologyThe last five days of Kartik month are called Bhishma Panchak know what is the result of fasting in these days

Kartik mahina panchak: कार्तिक मास के आखिर के पांच दिन कहलाते हैं भीष्म पंचक, जानें इनमें व्रत रखने से क्या फल मिलता है

Kartik mahina: यह पांच दिवसीय व्रत देवोत्थान एकादशी से आरंभ होता है और कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होता है। पद्म पुराण में कहा गया है कि जो भी भक्त इस पांच दिवसीय व्रत का पालन करते हैं, उन्हें इस तपस्य

Kartik mahina panchak: कार्तिक मास के आखिर के पांच दिन कहलाते हैं भीष्म पंचक, जानें इनमें व्रत रखने से क्या फल मिलता है
Anuradha Pandeyहिंदुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 23 Nov 2023 05:43 AM
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कार्तिक मास के अंतिम पांच दिन ‘भीष्म पंचक’ या ‘विष्णु पंचक’ के नाम से जाने जाते हैं। यह पांच दिवसीय व्रत देवोत्थान एकादशी से आरंभ होता है और कार्तिक पूर्णिमा पर समाप्त होता है। पद्म पुराण में कहा गया है कि जो भी भक्त इस पांच दिवसीय व्रत का पालन करते हैं, उन्हें इस तपस्या से आध्यात्मिक उन्नति एवं भगवान श्रीकृष्ण की शुद्ध भक्ति प्राप्त होती है।

कार्तिक मास के अंतिम पांच दिनों का यह व्रत पहले ऋषि वशिष्ठ, भृगु, गर्ग आदि द्वारा किया जाता था। महाराज अंबरीष ने यह व्रत किया और अपने सभी राजसी सुखों का त्याग कर दिया। भीष्म पंचक उपवास का पालन करने से व्यक्ति को चारों चतुर्मास उपवास का लाभ मिलता है।

भीष्म पंचक मां गंगा एवं राजा शांतनु के पुत्र भीष्म को समर्पित है। वह कुरु वंश में महान राजा भरत के वंशज पांडवों के ज्येष्ठ पितामह हैं। महाभारत एवं श्रीमद्भागवत के अनुसार भीष्म ने कुरु वंश का सिंहासन त्याग कर आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की, जिसका उन्होंने जीवनपर्यंत पालन किया। गौड़ीय वैष्णव के अनुसार भीष्म कृष्णभावनामृत विज्ञान में बारह महाजन अधिकारियों में से एक के रूप में जाने जाते हैं। अपनी युवावस्था में उन्हें यह वरदान मिला था कि उनकी मृत्यु उनकी इच्छानुसार ही होगी।

महाभारत के युद्ध की समाप्ति पर, जिस समय गंगा पुत्र भीष्म सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा में बाणों की शैया पर शयन कर रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण पांडवों के साथ उनके पास गए तथा युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से प्रार्थना की—‘हे पितामह, आप हमें राज्य चलाने संबंधी उपदेश देने की कृपा करें।’

तब भीष्म ने पांच दिनों तक राजधर्म, वर्णधर्म, मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया। उनका उपदेश सुनकर भगवान श्रीकृष्ण संतुष्ट हुए और बोले कि गंगा पुत्र आपने कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों में जो धार्मिक उपदेश दिया है, उससे मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। इस कारण आपकी स्मृति में इन पांच दिनों में ‘भीष्म पंचक’ व्रत का प्रारंभ होगा। इन पांच दिनों में भगवान हरि की पूजा करने और भक्ति सेवा में संलग्न भक्तों को मैं शुद्ध भक्ति का वरदान देता हूं। पांडवों के युद्ध जीतने के बाद, पितामह भीष्म ने शांति अनुभव की। वे भगवान श्रीकृष्ण के सम्मुख अपना शरीर छोड़ना चाहते थे। यह भगवान श्रीकृष्ण के प्रति उनकी अटूट आस्था और भक्ति को दर्शाता है। पद्म पुराण में कहा गया है कि जो भी भक्त कार्तिक मास के अंतिम पांच दिनों में इस व्रत का पालन करते हैं, वह पापों से मुक्त होकर जीवन में आध्यात्मिक उन्नति करते हैं।

डॉ. विकास कुमार, इस्कॉन से साभार

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