भगवान शिव और शनिदेव की कृपा पाने को रखें यह व्रत
प्रदोष व्रत अगर शनिवार के दिन आता है तो यह शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। शनि प्रदोष व्रत सभी प्रदोष व्रत में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की आराधना करें। शनिदेव को मनाने के लिए...
प्रदोष व्रत अगर शनिवार के दिन आता है तो यह शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। शनि प्रदोष व्रत सभी प्रदोष व्रत में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की आराधना करें। शनिदेव को मनाने के लिए शनि प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने वालों को शनिदेव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
शनि प्रदोष व्रत के दिन प्रात:काल भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें, तत्पश्चात शनिदेव का पूजन करें। इस व्रत में पूरे दिन मन ही मन ऊं नम: शिवाय का जाप करें। पूरे दिन निराहार रहें। शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें और कुश के आसन पर बैठकर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें।
सूर्यास्त के पश्चात एवं रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है। शनि प्रदोष व्रत में भगवान शिव के लिए देसी घी और शनिदेव के लिए सरसों के तेल का दीपक प्रज्जवलित करें। शिव-पार्वती और श्रीगणेश के भजनों के साथ जागरण करें। माना जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव साक्षात शिवलिंग में अवतरित होते हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।