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हेमकुंड साहिब के कपाट खुले, जानें सिखों के लिए क्यों खास है यह तीर्थ

गुरु ग्रंथ साहिब जी के सभी पावन स्वरूपों को ले जाते समय गढ़वाल स्काउट बैंड तथा पंजाब से आये बैंड ने अपने बैंड-बाजों के साथ विभन्नि धुनें बजाई।

हेमकुंड साहिब के कपाट खुले, जानें सिखों के लिए क्यों खास है यह तीर्थ
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 23 May 2022 10:11 AM

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Hemkund Sahib Story: विश्व के सबसे अधिक उंचाई पर स्थित गुरूद्वारे हेमकुंड साहिब के कपाट रविवार को विधिविधान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खोल दिए गए । उत्तराखंड के चमोली जिले में 15200 फीट पर स्थित गुरूद्वारे के कपाट खुलने की प्रक्रिया पंच प्यारों की अगुवाई में सुबह साढ़े दस बजे संपन्न हुई। इससे पहले, सुबह गुरुग्रंथ साहिब को दरबार साहिब लाया गया और सुखमणि साहिब के पाठ के साथ कपाट खुलने की प्रक्रिया पूरी हुई। हेमकुंड साहिब के साथ ही निकटवर्ती लोकपाल मंदिर के कपाट भी रविवार को दर्शनों के लिए खोल दिए गए हैं। 

हेमकुंड साहिब सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह की तपस्थली मानी जाती है। हिमाच्छादित पर्वत श्रंखलाओं के मध्य हेमकुंड सरोवर के समीप श्री हेमकुंड गुरुद्वारा और लोकपाल तीर्थ स्थित है। यहां पहुंचने के लिए बदरीनाथ के निकट गोविंद घाट से पुलना गांव तक मोटर मार्ग से तथा उसके आगे लगभग 17 किलोमीटर पैदल चल कर पहुंचा जा सकता है। देश—विदेश के लाखों श्रद्धालु हर साल हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिए आते हैं । इस बार हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिए हर दिन अधिकतम 5000 यात्रियों की संख्या तय की गयी है । इसी मार्ग पर विश्वविख्यात फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान भी स्थित है जो जून से पर्यटकों के लिए खुलता है। 

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हेमकुंड साहिब से जुड़ी मान्यता-

हेमकुंड साहिब के बारे में कहा जाता है कि यह स्थान रामायण काल से संबंध रखता है। यहां पहले मंदिर था, जिसका निर्माण भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने करवाया था। यहां पर गुरु गोबिंद सिंह ने पूजा-अर्चना की थी। इसका उल्लेख गुरु गोबिंद सिंह द्वार रचित दशम ग्रंथ में हुआ था। गुरु से संबंधित स्थान होने के कारण बाद में इस स्थान को गुरुद्वारा घोषित कर दिया गया। गुरुद्वारे के पास लक्ष्मण जी का मंदिर भी है। पास ही एक झील है जिसमें हाथी पर्वत और सप्त ऋषि पर्वत से जल आता है।

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