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स्वामी रामदास जंयती: मां की इस बात से नारायण बने थे त्यागी संत

आज 9 फरवरी 2018 को नवमी तिथि है और आज से सर्वार्थ सिद्धि योग लग रहा है जो अत्यंत ही शुभ माना गया है। यह शुभ योग सुबह 6:41 से शाम 4:55 तक रहेगा। आज का दिन सभी राशि के लोगों के लिए शुभ फलदाई...

स्वामी रामदास जंयती: मां की इस बात से नारायण बने थे त्यागी संत
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 09 Feb 2018 10:35 AM
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आज 9 फरवरी 2018 को नवमी तिथि है और आज से सर्वार्थ सिद्धि योग लग रहा है जो अत्यंत ही शुभ माना गया है। यह शुभ योग सुबह 6:41 से शाम 4:55 तक रहेगा। आज का दिन सभी राशि के लोगों के लिए शुभ फलदाई रहेगा। आज समर्थ स्वामी रामदास की जयंती भी है।

मां की एक बात से नारायण से संत बने थे स्वामी रामदास-

स्वामी रामदास या समर्थ रामदास एक शरारती बालक से संत कैसे बने इसकी एक रोचक कहानी है। स्वामी रामदास का जन्म 1608 में आज के दिन महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के जांब नामक स्थान पर एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। स्वामी रामदास का बचपन का नाम नारायण था। वह बचपन में बहुत शरारती किस्म के बालक थे। गांव के लोग उनके शरारत की शिकायतें लेकर उनके घर पहुंचते रहते थे। बताते हैं कि एक दिन उनकी मां ने कहा कि नाराणय तुम पूरा दिन शरारत करते हो जबकि तुम्हारे बड़े भाई घर परिवार की चिंता करते हैं। तुम्हें किसी की परवाह नहीं रहती। माता की यह बात नारायण के दिल पर लग गई और वह घर के एक कमरे में ध्यान लगाकर बैठ गए। पूरे दिन जब वह अपनी को दिखाई नहीं दिए तो शाम को उनकी खोज की जाने लगी। तभी नारायण अपनी मां को एक कमरे में ध्यानमग्न मिले। इस पर उनकी मां ने पूछा कि यह क्या कर रहे हो तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं पूरी दुनिया की चिंता कर रहा हूं।

इस घटना से ही उनका जीवन बदल गया और उन्होंने सांसारिक दुनिया से त्याग ले लिया। छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु रहे रामदास ने पूरे देश का पैदल चलकर भ्रमण किया। और जगह-जगह पर युवाओं को हनुमान जी की पूजा अराधना के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कई स्थानों पर मठ और हनुमान मूर्ति की स्थापना कराई। उन्होंने सुगमोपाय नाम का एक ग्रंथ भी लिखा।

विवाह मंडप से उठकर जंगल चले गए
स्वामी रामदास के जीवन की एक घटना यह भी बताई जा रही है कि 12 वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह हो रहा था लेकिन जैसे ही पंडित ने सावधान मंगल बोला वैसे ही वह मंडप छोड़कर टाकली नामक एकांत स्थान पर चले गए। यहां वह 12 साल तक भगवान राम की तपस्या में लीन रहे। इसी कारण उनका नाम स्वामी रामदास पड़ा। टाकली महाराष्ट्र के नासिक जिले में है। यहां नंदिनी और गोदावरी नदियों का संगम भी है।

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