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सक्सेस मंत्र: धार्मिक रूप से प्रबुद्द व्यक्ति न तो डरता है, न कुछ खोता है

जब एलेक्जेंडर भारत आया, उसने महसूस किया कि अब तक जितने भी देशों पर उसने विजय प्राप्त की है, उनमें भारत के लोग सबसे बुद्धिमान और विश्वसनीय हैं। उसने भारत के प्रबुद्ध लोगों जैसे कि- दार्शनिक और संतों...

सक्सेस मंत्र: धार्मिक रूप से प्रबुद्द व्यक्ति न तो डरता है, न कुछ खोता है
लाइव हिन्दुस्तान ,नई दिल्लीSun, 27 Aug 2017 10:34 PM
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जब एलेक्जेंडर भारत आया, उसने महसूस किया कि अब तक जितने भी देशों पर उसने विजय प्राप्त की है, उनमें भारत के लोग सबसे बुद्धिमान और विश्वसनीय हैं। उसने भारत के प्रबुद्ध लोगों जैसे कि- दार्शनिक और संतों से मिलने की इच्छा जाहिर की। उसे सिंधु नदी के पास ले जाया गया, जहां उसकी मुलाकात एक संत से हुई। एलेक्जेंडर को दुनिया के सम्राट के रूप में जाना जाता था। वह जिस संत से मिला उसके तन पर एक पूरा कपड़ा तक नहीं था, लेकिन एक दिव्य सौंदर्य के साथ संत की आंखें चमक रही थीं। संत के व्यक्तित्व से एलेंक्जेंडर काफी प्रभावित हुआ और उसने संत से कहा- हे महान आत्मा, मुझ पर दया करो। भारत में लोग आप जैसे शख्स को अंधकार में रखते हैं। मेरा निवेदन है कि आप मेरे देश चलें। मैं आपको हर वह चीज दूंगा, जिसकी आपको जरूरत है। पर मेरी प्रार्थना स्वीकार करो, मेरे साथ चलो।

संत ने मुस्कुराते हुए कहा- मैं सर्वव्यापी हूं। मैं हर जगह हूं।

एलेक्जेंडर को संत की बात समझ में नहीं आई। उसने दोबारा संत से वही निवेदन किया।

संत ने फिर मना करते हुए कहा, ‘मुझे किसी चीज की आवश्यकता नहीं है।’

संत की बात सुनकर एलेक्जेंडर ने अपमानित महसूस किया। आज तक किसी ने उसे इनकार नहीं किया था। क्रोधित होकर एलेक्जेंडर ने संत को मारने के लिए तलवार निकाल ली।

एलेक्जेंडर को देखकर संत ने हंसने हुए कहा- हे बालक। तुम जमीन पर बैठो। मिट्टी से खेलो। छोटे-छोटे घर बनाओ और फिर खुद ही उन्हें तोड़ दो। इस प्रक्रिया में मिट्टी अपना कुछ नहीं खोएगी। वह बिल्कुल वैसी रहेगी, जैसी पहले थी। बिल्कुल ऐसा ही संत के साथ भी है।

मेरे लिए शरीर एक मिट्टी के घर जैसा है, जो कि व्यक्ति की सहज प्रवृति के अनुसार बनता है। मैं मिट्टी हूं। कभी घर नहीं था। अगर कोई मुझे खत्म करना चाहता है, तो वह सिर्फ अपने घर को समाप्त कर रहा है। मिट्टी तो वैसी ही रहेगी।

संत की बात सुनकर, एलेक्जेंडर के हाथों से तलवार अपने आप छूटकर नीचे गिर गई। अपने क्रोध के लिए उसने संत से क्षमा मांगी।

सीखः संत के पास न तो खोने के लिए कुछ है, न डरने के लिए। 
 

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