सक्सेस मंत्र : अनुभव होने के बाद भी निखारते हैं हुनर
सौम्या स्टार्टअप ‘खेती' की सह-संस्थापक हैं, जो भारत में छोटे किसानों को अपने प्रोडक्ट ‘ग्रीनहाउस-इन-ए-बॉक्स' के जरिये बेहतर उपज पाने में मदद कर रही हैं। इनके इस उत्पाद के जरिये...
सौम्या स्टार्टअप ‘खेती' की सह-संस्थापक हैं, जो भारत में छोटे किसानों को अपने प्रोडक्ट ‘ग्रीनहाउस-इन-ए-बॉक्स' के जरिये बेहतर उपज पाने में मदद कर रही हैं। इनके इस उत्पाद के जरिये किसान 90 फीसदी कम पानी के इस्तेमाल से बेहद कम जगह में पहले से सात गुना ज्यादा उपज पैदा कर पा रहे हैं। इस उपलब्धि के लिए फोर्ब्स ने उन्हें 2019 की 30 अंडर 30 सूची में शामिल किया है।
कैसे हुईं प्रेरित : सौम्या शुरू से एक मेधावी छात्रा रही हैं। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से भौतिकी विषय से ग्रेजुएट हैं। विज्ञान के साथ उनकी रुचि सम-सामयिक मुद्दों में भी बनी रहती थी। वह समाज के हाशिये में रह रहे लोगों की बेहतरी के लिए कई गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेतीं। वह ग्रेजुएशन के बाद ‘क्रांति' नाम की एक सामाजिक मुहिम के जरिये सेक्स वर्कर की बेटियों को शिक्षित करने के काम से जुड़ीं।
उन्होंने अपने प्रयासों से आतंक से पीड़ित झारखंड के जिले चायबासा में स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किया। जहां सैकड़ों छात्रों को रोजगारपरक स्किल में प्रशिक्षण दिया। यह तमाम अनुभव एक सोशल एंटरप्रिन्योर बनने की ओर कदम थे। वह कुछ समय के लिए स्टार्टअप ‘येलो लीफ सॉल्यूशन' से जुड़ी रहीं, जो कम पढ़े-लिखे भारतीय नौजवानों को वोकेशनल ट्रेनिंग देता है।
वह किसानों की बदहाली के बारे में सुनती रहती थीं और उनके के लिए कुछ करना चाहती थीं। वह अपने स्टार्टअप ‘खेती' के भावी साथियों सत्य रघु, आयुष और कौशिक के संपर्क में आईं, जो पहले से तेलंगाना के गांवों में खेती के कई तरीकों के साथ प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने पाया कि जलवायु परिवर्तन किसानों की बदहाली की बड़ी वजह है। इसलिए उपाय भी ऐसा होना चाहिए, जिस पर जलवायु में बदलाव का असर न होता हो। वह ग्रीनहाउस की ओर मुड़े। ग्रीनहाउस पहले से मौजूद रहे हैं, पर तब तक इनका खर्च छोटे किसानों के लिए वहन करना नामुमकिन था।
उन्हें ऐसी योजना बनानी थी, जो किसानों को कम दाम में बेहतर सुविधा दे सके। उन्होंने इंजीनियर और कृषि विशेषज्ञों के साथ मिल कर ऐसा ग्रीनहाउस बनाने में कामयाबी हासिल की, जो सस्ता भी था, पानी की बचत भी करता है और वातावरण के तापमान को नियंत्रित भी। उन्होंने साल 2015 में स्टार्टअप ‘खेती' को शुरू किया और छोटे किसानों को इससे जोड़ा। वह किसानों को ग्रीनहाउस दिलाने तक ही सीमित नहीं रहे, वह उन्हें प्रशिक्षण, लोन, खाद और बाजार पर पकड़ बनाने तक पूरी मदद करने लगे। यहां सौम्या को एमबीए करने की जरूरत महसूस हुई। वह एमबीए की पढ़ाई के दौरान स्टार्टअप के प्रबंधन, फंड बढ़ाने जैसी कुछ बुनियादी चीजों को आगे ले गईं। आगे वह अपने स्टार्टअप की सेवाओं से जरूरतमंद किसानों को जोड़ना चाहती हैं।
काम की बात - किसी जीच के लिए आपका जुनून मुश्किल दौर से निकलने में मदद करता जरूर है। लेकिन, अपने आइडिया को सफल बनाने के लिए लगातार कोशिश करनी पड़ती है।