सक्सेस मंत्र : जीवन में खुद पर विश्वास और धैर्य से मिलता है लक्ष्य
12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती मनाई जाती है। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। स्वामी विवेकानंद के विचारों को अपनाकर जीवन में सफलता पाई...
12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती मनाई जाती है। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। स्वामी विवेकानंद के विचारों को अपनाकर जीवन में सफलता पाई जा सकती है। 25 साल की उम्र में उन्होंने सन्यास ले लिया था। विवेकानंद पर वेदांत दर्शन, बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग और गीता के कर्मवाद का बहुत अधिक प्रभाव हुआ था। उनके जीवन के विचार आज भी लाखों युवायों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।
जब स्वामी विवेकानंद विदेश में गए थे, तब उनकी मुलाकात एक अमीर महिला से हुई। महिला स्वामी जी से इतना प्रभावित हुई कि वह उनकी शिष्या बन गई। एक दिन स्वामी जी शिष्या के साथ घोड़ा गाडी में घूम रहे थे, तभी गाड़ी चलाने वाले ने अचानक गाड़ी सड़क के किनारे बैठे बच्चों और एक महिला के पास रोकी।
गाड़ी वाला नीचे उतरा और उस महिला और बच्चों को पैसे देकर वापस गाड़ी में आ गया। स्वामी विवेकानंद और उनकी शिष्या इस पूरी घटना को देख रहे थे। शिष्या ने गाड़ी वाले से पूछा कि वह महिला और बच्चे कौन है और आप उससे मिलने क्यों गए थे। तब गााड़ी वाले ने जवाब दिया कि वह महिला मेरी पत्नी और बच्चे मेरी संतान हैं। उसने बताना शुरू किया कि मैं पहले बैंक में मैनेजर था, बैंक को काफी नुकसान होने पर, कर्ज उतारने के लिए मेरी संपत्ति चली गई। उससे पहले मेरे पास पैसों की कई कमी नहीं थी। उस व्यक्ति ने आगे बताया कि उसके पास कुछ पैसे बचे थे, तो उसने ये घोड़ा गाड़ी खरीद ली। अब पेट पालने के लिए इस घोड़ा गाड़ी को चलाता है। उस व्यक्ति ने कहा कि अब जब भी उसके पास कुछ पैसे एकत्र होंगे, वह फिर से एक बैंक खोल लेगा। उसने कहा कि मुझे विश्वास है कि मैं एक नई बैंक जल्दी खोल लूंगा। स्वामी विवेकानंद इस घटना से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने अपनी शिष्या से कहा कि इस व्यक्ति को अपना लक्ष्य जरूर मिलेगा। इसने बुरे समय में भी अपना धैर्य नहीं खोया है और खुद पर इसे बहुत विश्वास है।