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सक्सेस मंत्र : शिकायत नहीं, जो मिले उसके लिए शुक्रिया कहना सीखें

जिंदगी बहुत तेज रफ्तार से भागती है। इसमें कई अहम मौके हम चूक जाते हैं। कई बार समय नहीं होता, तो कभी किसी नाराजगी की वजह से या बस यूं ही। हम भूल जाते हैं कि जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियों को छोड़कर हम...

सक्सेस मंत्र : शिकायत नहीं, जो मिले उसके लिए शुक्रिया कहना सीखें
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 06 Dec 2019 10:10 PM
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जिंदगी बहुत तेज रफ्तार से भागती है। इसमें कई अहम मौके हम चूक जाते हैं। कई बार समय नहीं होता, तो कभी किसी नाराजगी की वजह से या बस यूं ही। हम भूल जाते हैं कि जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियों को छोड़कर हम कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं। जब वक्त निकल जाएगा तो हम इन्हीं खुशियों के लिए तरस जाएंगे। 

अग्रवाल साहब आज सुबह से अपने स्टडी रूम में बंद थे। सुबह की सैर से लौटने के बाद से उन्होंने किसी से ज्यादा बात नहीं की थी। अपने शानदार चार बीएचके के फ्लैट की बालकनी में चाय पीना और फिर स्टडी में कुछ समय बिताना उनकी आदत थी। इसलिए किसी ने इस पर कुछ खास तवज्जो नहीं दी। 

मगर, आज उन्हें स्टडी में रोज से ज्यादा समय हो गया था। तो उनकी पत्नी उन्हें देखने कमरे में आ गईं। उन्होंने देखा कि अग्रवाल साहब बड़ी संजीदगी से कुछ लिखने में व्यस्त हैं। वह दुखी भी लग रहे थे। उन्होंने पास जाकर देखा कि अग्रवाल साहब क्या लिख रहे हैं। इसमें लिखा था,

पिछले साल मेरी सर्जरी हुई और मेरा गॉल ब्लैडर निकाल दिया गया, इसकी वजह से मुझे काफी समय बेड पर पड़े रहना पड़ा
मैं 60 साल का हो गया और मुझे अपनी फेवरेट जॉब छोड़नी पड़ी, मैंने अपनी जिंदगी के 30 साल इस कंपनी को दिए थे
मेरा बेटा अपने इम्तहान में फेल हो गया क्योंकि उसका कार एक्सिडेंट हो गया था और वह कई दिनों तक हॉस्पिटल में रहा। कार पूरी तरह बेकार हो गई
यह एक बहुत बुरा साल था।

मिसेज अग्रवाल ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप कमरे से चली गईं। वह कुछ देर बाद लौटीं और उन्होंने अपने पति की टेबल पर उनके लिखे हुए कागज के बगल में एक और कागज रख दिया। अग्रवाल साहब ने उसे देखा, उस पर लिखा था

पिछले साल मुझे अपने गॉल ब्लैडर के दर्द से राहत मिल गई, जिसकी वजह से मुझे कई साल तक दर्द झेलना पड़ा
मैं 60 साल का हो गया और तंदुरुस्त हूं। मैं अपने रिटार भी हो गया हूं, अब मैं अपना समय कुछ अच्छा और रोचक लिखने में लगा सकता हूं जो हमेशा से मेरी हॉबी रही है
मेरे पिता 95 साल की उम्र शांतिपूर्वक इस दुनिया से चले गए, उन्हें कोई लंबी बीमारी नहीं थी। उन्होंने नींद में बिना किसी तकलीफ के अंतिम सांस ली
मेरे बेटे को नई जिंदगी मिली, हमारी कार पूरी तरह से बेकार हो गई मगर हमारे बेटे को कोई बड़ी चोट नहीं आई
यह साल हमारे लिए किसी वरदान जैसा रहा, जो शांति से बीत गया। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारे पास हमेशा कुछ न कुछ अच्छा जरूर होता है। इसलिए उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए। 

आप ऐसी सोच का नतीजा क्या होता यह खुद में आजमाकर देख सकते हैं। आप पाएंगे कि आपको कुछ पहले से अब कुछ बेहतर लग रहा है। यही है आगे बढ़ने का पॉजिटिव और अलग नजरिया।

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