सक्सेस मंत्र : दूसरों की सहायता का इंतजार करने से बेहतर है, अपनी क्षमताओं को पहचाना जाए
एक गांव में एक आलसी आदमी रहता था। वह दिन भर निठल्ला बैठकर यही सोचता रहता था कि किसी तरह कुछ खाने को मिल जाए। एक दिन वह घूमते-घूमते एक आम के बाग में जा पहुंचा। आम देखकर वह आम तोड़ने एक पेड़ पर चढ़ गया,...

एक गांव में एक आलसी आदमी रहता था। वह दिन भर निठल्ला बैठकर यही सोचता रहता था कि किसी तरह कुछ खाने को मिल जाए। एक दिन वह घूमते-घूमते एक आम के बाग में जा पहुंचा। आम देखकर वह आम तोड़ने एक पेड़ पर चढ़ गया, लेकिन जैसे ही वह पेड़ पर चढ़ा, बाग का मालिक वहां आ गया। बाग़ के मालिक को देखकर आलसी व्यक्ति काफी डर गया और जैसे-तैसे पेड़ से उतरकर वहां से भाग गया।
भागते-भागते वह गाँव से काफी दूर एक जंगल में जा पहुँचा। वह थककर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी उसकी नजर एक लोमड़ी पर पड़ी जिसकी एक टांग टूटी हुई थी और वह लंगड़ाकर चल रही थी। लोमड़ी को इस हालत में देख आलसी आदमी सोचने लगा कि जंगली जानवरों से भरे इस जंगल में ये लोमड़ी बच कैसे गई? यह अब तक कैसे जीवित है।
वह यह जानने के लिए एक पेड़ में चढ़ गया और लोमड़ी को देखने लगा। कुछ ही देर बाद शेर की भयंकर दहाड़ से पूरा जंगल गूंज उठा। शेर की दहाड़ सुनकर सभी जानवर भागने लगे, लेकिन लोमड़ी वहीं खड़ी रही। तभी शेर लोमड़ी के पास आया और एक मांस का टुकड़ा लोमड़ी के सामने गिरा दिया। लोमड़ी इत्मिनान से मांस के उस टुकड़े को खाने लगी। इसके बाद शेर वहां से चला गया।
इस घटना को देख आलसी आदमी कहने लगा भगवान सच में सर्वेसर्वा है, उसने धरती के समस्त प्राणियों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था कर रखी है। घर आकर वो सोचने लगा भगवान ने मेरी व्यवस्था भी की होगी। मेरा भोजन भी आ ही जाएगा और वो बिस्तर पर लेटकर प्रतीक्षा करने लगा। कुछ दिन बीत गए और उसका भूख से बुरा हाल होने लगा।
जब उसका भूख से बुरा हाल हो गया तो वो घर से बाहर निकला तो उसे एक साधु दिखाई दिए। वह उनके पास गया और जंगल का सारा वृतांत सुनाया और बोला बाबा भगवान मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं? उन्होंने जानवरों के लिए भी भोजन की व्यवस्था की हुई पर इंसानों के लिए नहीं।”
तब साधु ने कहा, “बेटा, ऐसी बात नहीं है। भगवान ने हर किसी के लिए व्यवस्था की है। तुम्हारे लिए भी भगवान ने व्यवस्था की हुई है। लेकिन बात यह है कि भगवान तुम्हें लोमड़ी नहीं बल्कि शेर बनाना चाहते हैं।”
कहानी की सीख: हमें अपनी क्षमताओं को पहचानना चाहिए। हम सभी के अंदर क्षमताओं का असीम भंडार होता है। दूसरों की सहायता की प्रतीक्षा करने से बेहतर है कि स्वंय इतने सक्षम बन जाएं कि दूसरों की सहायता कर पाएं।
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