सक्सेस मंत्र : भावनाओं को काबू कर लें सही फैसला
भावना में बहकर लिए गए फैसले बाद में परेशानी का सबब बनते हैं। कॅरियर हो या निजी जीवन में भावनाओं पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है। ज्यादा उत्तेजना या उदासीनता सफलता के रास्ते में रोड़ा साबित होते हैं।...
भावना में बहकर लिए गए फैसले बाद में परेशानी का सबब बनते हैं। कॅरियर हो या निजी जीवन में भावनाओं पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है। ज्यादा उत्तेजना या उदासीनता सफलता के रास्ते में रोड़ा साबित होते हैं। जब भी कोई अहम मौका या फैसला लेना हो तो ठंडे दिमाग से सारी स्थिति को समझना जरूरी होता है।
मनोवैज्ञानिक अध्ययन दर्शाते हैं कि भावनाओं को तर्क से अलग नहीं किया जा सकता और इनको अलग कर दिखाने वाले परीक्षण और प्रयास पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं। उदाहरण के लिए रिटेल सामान के लिए खरीददार तब ज्यादा पैसे का भुगतान करेगा जब उसका मूड खराब होगा (तब वह ज्यादा उत्तेजित होता है और वह सारा काम तुरंत निपटा देना चाहता है) या अच्छे मूड में होगा (जब वह अति आत्मविश्वास से भरा होता है और उदार भाव में होता है)।
बोली लगाने वाले नीलामी के दौरान जोश में आकर सीमा लांघ जाते हैं और अगर सामने वाले को हराने की जिद पकड़ लेते हैं तो उस सामान की जरूरत से ज्यादा रकम चुका देते हैं। फोकस अनिवार्य रूप से एक ऐसे क्षेत्र में केंद्रित हो जाता है, जिसका किसी तरह का दस्तावेज तैयार करना बहुत ही मुश्किल है और इसे किसी नेतृत्व तैयार करने वाली कक्षा में पढ़ा पाना भी संभव नहीं है। इस क्षेत्र में मूड, व्यवहार, व्यक्तिगत तालमेल, समूह का व्यवहार, सामाजिक रूपरेखा और ऐसे ही अनेक कारक काम करते हैं। इन चीजों की समझ ही फैसले लेने में महत्वपूर्ण है और इससे जुड़े पाठों को काफी पहले से पढ़-समझ लेना चाहिए।
ध्यान रखें ये बातें-
- मशीनी ढंग से ना सोचें। व्यहारिक समझ विकसित कर स्थिति के अनुरूप फैसले लें-
- खुद को जानें। आप कैसा महसूस कर रहे हैं, यह जान लीजिए। एक तार्किक रोबोट की तरह व्यवहार न करें। गुस्से, ईर्ष्या और भय के साये में फैसला ना लें।
- उम्मीद, विश्वास, स्थायित्व और दया इन चार भावों पर जोर देकर अपने समूह का विश्वास हासिल करें।
- अंहकार, खुद के महत्व और हर हाल में जीतने की जिद से बचें।
- वह काम कदापि न करें जो आप जानते हैं कि गलत हैं। नैतिक मूल्य बेशक काम पूरी तरह से सफल होने की गारंटी नहीं देते, लेकिन इसके उलट चलने पर देर-सबेर व्यक्तिगत हानि होना तय हो जाता है।
- दूसरों की उपलब्धियों की तारीफ करें।
- विविध विचारों को बढ़ावा दें, लेकिन ध्यान रखें वे सकारात्मक योगदान दें। हमेशा ना-नुकुर करने वाले और हताश करने वाले लोगों से बचकर रहें।
- भय से अनुशासन बन सकता है, पर इससे लोग सामने सही बोलने से झिझकते हैं।
- व्यक्तिगत जागरूकता का कोई विकल्प नहीं होता। अगर आप जागरूक हैं तो कोई भी कार्य करते हुए उसकी प्रक्रिया के दौरान खुद का ही फायदा करेंगे, क्योंकि आप हर कदम को व्यापक नजरिए से परख सकेंगे। अपना फैसला कैसे संभल कर करना है, यह सीखना वरीयता होना चाहिए। यह एक फैसला बाकी फैसलों की राह आसान कर देगा।