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सक्सेस मंत्र : हमेशा पहले से बेहतर करने का करें प्रयास

भारत की स्टार फर्राटा धाविका हिमा दास अंतरराष्ट्रीय ट्रैक इवेंट में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय हैं। उन्होंने पोलैंड में हुए कुटनो एथलेटिक्स मीट में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीत कर...

सक्सेस मंत्र : हमेशा पहले से बेहतर करने का करें प्रयास
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीWed, 17 Jul 2019 08:59 PM
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भारत की स्टार फर्राटा धाविका हिमा दास अंतरराष्ट्रीय ट्रैक इवेंट में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय हैं। उन्होंने पोलैंड में हुए कुटनो एथलेटिक्स मीट में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीत कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। बीते साल जुलाई में हुई विश्व अंडर 20 एथलेटिक चैम्पियनशिप में उन्होंने 51.46 सेकंड में 400 मीटर दौड़ जीत कर सभी को अचंभित कर दिया था। .

उन्होंने इस मुकाबले में आखिरी सात सेकंड में अपने से आगे चल रहे सभी पांच प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ कर जीत हासिल की थी। इसके अलावा वह जकार्ता (इंडोनेशिया) में हुए एशियाई खेलों में 400 मीटर दौड़ में रजत पदक जीत चुकी हैं। वह इस समय विश्व जूनियर चैम्पियन हैं और 400 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी हैं। उन्हें इन उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने ‘अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित किया है। वह फोर्ब्स की 2019 की 30 अंडर 30 सूची में भी शामिल हैं।.

कैसे हुईं प्रेरित : हिमा दास असम के एक गांव ढिंग के एक किसान परिवार से आई हैं। वह शुरू से खेल में रुचि लेती थीं। अपने स्कूल के समय में मौका मिलने पर वह लड़कों के साथ फुटबॉल खेलने में भी पीछे नहीं रहती थीं। वह दौड़ में काफी अच्छी थीं। वह जब अंतर-जिला प्रतियोगिताओं में 100 और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीत रही थीं, तब उनके कोच निपोन की उन पर नजर गई। उन्होंने हिमा को यकीन दिलाया कि उनका एथलेटिक्स में सुनहरा भविष्य है। दौड़ में संभावनाएं देखते हुए वह कोच से इसका प्रशिक्षण लेने के लिए गुवाहाटी गईं। हालांकि, शुरुआत में उनके माता-पिता उन्हें गुवाहाटी भेजना नहीं चाहते थे, पर बाद में किसी तरह सहमत हुए। .

आखिर साल 2017 में कोच की देख-रेख में प्रशिक्षण शुरू किया। जल्दी ही वह दौड़ में बेहतर करने लगीं। इसके बाद वह विश्व की अंडर 20 प्रतियोगिता में शामिल हुईं और उसमें स्वर्ण पदक जीता। सभी खेल प्रेमियों की नजर उन पर गई। उन्होंने फिर कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया, जिनमें से कुछ में जीत भी हासिल की। .

वह सफलता को पैसा और मशहूर होने से जोड़ कर नहीं देखती हैं, वह इसे व्यक्तिगत चीज मानती हैं। वह कहती हैं, ‘मेरे लिए सफलता अपने लक्ष्य को पाने से जुड़ी है। उसे पाकर ही आप अपने अगले पड़ाव की ओर बढ़ने के बारे में सोचते हैं।' वह अपनी पुरानी उपलब्धियों पर टिके रहना नहीं चाहतीं। इसलिए वह लगातार अपनी टाइमिंग को बेहतर बनाने में लगी रहती हैं। उनकी नजर अब 2020 में होने वाले ओलंपिक्स पर है। वह कहती हैं, ‘अब मुझे अभ्यास के लिए ऐसे जूते मिलते हैं, जिसमें मेरा नाम लिखा होता है।

काम की बात - कामयाबी बाहर की चीज नहीं है, यह हमारे अंदर से आती है। इसे पैसा कमाने और मशहूर होने से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता। इसके लिए लगातार प्रयास करते रहना होता है। तब लोग भी आपकी मदद को आगे आते हैं।

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