दिवाली की कहानी: सिर्फ भगवान राम के अयोध्या लौटने पर नहीं इन 4 कारणों से मनाई जाती है दिवाली
प्रकाश पर्व दिपावली आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व को हर उम्र और वर्ग के लोग बड़े ही उल्लास के साथ मना रहे हैं। हमारे में कई प्रकार की संस्कृतियां और कई प्रकार की मान्यताओं के लोग...
प्रकाश पर्व दिपावली आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व को हर उम्र और वर्ग के लोग बड़े ही उल्लास के साथ मना रहे हैं। हमारे में कई प्रकार की संस्कृतियां और कई प्रकार की मान्यताओं के लोग निवास करते हैं लेकिन सभी किसी न किसी वजह से एक दूसरे से जुड़े हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश अलग अलग हिस्सों में दिवाली भी अगल-अलग कारणों से मनाई जाती है।
उत्तर भारत की दिवाली-
14 साल वनवास काटने के बाद जिस शाम को भगवान राम अयोध्या लौटे उस शाम अयोध्या नगर वासियों ने उनके स्वागत में गली-गली में दिए जला दिए। उस दिन के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में हर दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा। यह पर्व अब देश और दुनिया के कई हिस्सों में मनाया जाता है।
दक्षिण भारत की दिवाली-
कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामम राक्षस का वध किया था। इसी के खुशी में चतुर्दशी के अगले दिन दक्षिण भारत दिपावली मनाने का चलन है।
पश्चिमी भारत में दीपावली-
पांच दिवसीय दिवाली पर्व के चौथे दिन पश्चिमी भारत में राक्षस राज बाली के पृथ्वी पर वापस आने की खुशी में दीपावली का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है भगवान विष्णु ने दूसरे लोक में भेज दिया था जिसके काफी समय बाद बाली पृथ्वी पर वापस आया था। बाली के लौटने के इस दिन को दिवाली के रूप में मनाया जाता है।
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पूर्वी भारत में दिवाली-
पूर्वी भारत में कई बार दिवाली के साथ ही काली पूजा भी देखने को मिलती है। तो कहीं दीपावली को काली पूजो के रूप में ही मनाया जाता है।
सभी कहानियों की समानता-
दिवाली पर्व देश में चाहे जिस कारण से मनाया जाता हो लेकिन सभी में एक ही कॉमन बात है वह है बुनाई पर अच्छाई की जीति। अंधकार पर प्रकाश की विजय। शायद यही कारण है सबके रीत रिवाज अलग होने के बाद भी सभी एकता के धागे में बंधे हैं।