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प्रकृति स्वयं करती है घोषणा... बसंत आ गया

माघ माह में शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इसी दिन से बसंत ऋतु का आरंभ होता है। इस ऋतु में प्रकृति अपने सबसे सुंदर स्वरूप में प्रकट होती है। सभी जगह फूलों की खुशबू भरी होती है।...

प्रकृति स्वयं करती है घोषणा... बसंत आ गया
लाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutTue, 05 Feb 2019 02:30 AM
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माघ माह में शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इसी दिन से बसंत ऋतु का आरंभ होता है। इस ऋतु में प्रकृति अपने सबसे सुंदर स्वरूप में प्रकट होती है। सभी जगह फूलों की खुशबू भरी होती है। प्रकृति आनंद के साथ घोषणा करती है कि बसंत आ गया है। बसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है। इस ऋतु का मौसम वातावरण में प्रसन्नता का भाव देता है। इस ऋतु में दिन-रात लगभग समान होते हैं। न बहुत अधिक बड़े और न ही बहुत अधिक छोटे। बसंत को मधुमास भी कहा जाता है।

बसंत ऋतु को प्रेम की ऋतु माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो संसार चारों ओर सुनसान निर्जन दिखाई देता था। उदासी से भरा वातावरण था। यह देखकर ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का। जलकणों के पड़ते ही एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी। इसी शक्ति ने जीवों को वाणी प्रदान की। यह देवी सरस्वती कहलाईं। मां सरस्वती विद्या, बुद्धि को प्रदान करने वाली हैं। बसंत पंचमी के दिन हर घर में मां सरस्वती की पूजा की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण बसंत उत्सव के अधिदेवता हैं। इस दिन घर में सरस्वती यंत्र की स्थापना करना चाहिए। त्रेता युग में जिस दिन भगवान श्रीराम, शबरी के आश्रम में पहुंचे थे, वह दिन बसंत पंचमी का ही था।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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