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सिंदूर खेला कर मांग माता रानी को बंगाली समाज ने दी विदाई

नौ दिनों की पूजा के बाद बुधवार को मां दुर्गे की विदाई का दिन रहा। लेकिन उससे पहले सिंदूर खेला का अपना अलग ही महत्व है। इसी मौके पर विद्ययानगर दुर्गावाड़ी मंदिर में बंगाली समुदाय की महिलाओं ने पारंपरिक

सिंदूर खेला कर मांग माता रानी को बंगाली समाज ने दी विदाई
Yogesh Joshiकार्यालय संवाददाता,अलीगढ़Wed, 05 Oct 2022 09:16 PM

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नौ दिनों की पूजा के बाद बुधवार को मां दुर्गे की विदाई का दिन रहा। लेकिन उससे पहले सिंदूर खेला का अपना अलग ही महत्व है। इसी मौके पर विद्ययानगर दुर्गावाड़ी मंदिर में बंगाली समुदाय की महिलाओं ने पारंपरिक तरीके से एक दूसरे को सिंदूर लगाकर मां दुर्गा से अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना की।

सिंदूर खेला में शामिल महिला विपाशा मुखर्जी ने बताया कि पिछले दो वर्षों से दुर्गा बाड़ी में कोरोना की वजह से बड़ा समारोह आयोजित नहीं हो पाया था। इस बार मां के आशीर्वाद से धूमधाम से पूजा संपन्न हुई है। उन्होंने बताया कि वे समाज की बेहतरी के लिए कामना कर रही हैं। सिंदूर खेला में दूसरे समुदाय की महिलाएं भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। मां दुर्गा की असीम कृपा से ही इस बार ये उत्सव सफल हुआ है। उन्होंने कहा कि सिंदूर खेला यहां की परंपरा है जो आगे के सालों में भी जारी रहेगी। इस रस्म में महिलाएं मां की प्रतिमा के पास रखे सिंदूर की पोटली से सिंदूर निकालकर एक दूसरे को लगाती हैं। बता दें कि अलीगढ़ के दुर्गा बाड़ी मंदिर का सिंदूर खेला काफी मशहूर है। यहां पर देश विदेश में रह बंगाली परिवार इस उत्सव में शामिल होने भारी संख्या में पहुंचते हैं। इस दौरान चंदन मुखर्जी, दीपा बंग्वास, तोमर चटर्जी, मुनमुन, गीता दत्त, तुंपा चक्रवर्ती, तुष्टि घोष, बीना दास, जगदीश भट्टठाचार्य, संजय मुखर्जी, आलोक चटर्जी, पुलक मुखर्जी, तपन चटर्जी आदि लोग मौजूद रहे।

धूमधाम से की माता रानी विदाई

अलीगढ़ के दुर्गा बाड़ी मंदिर में सिंदूर खेला के बाद भक्तों ने मौजूद श्रद्धालुओं को माता रानी विशेष प्रसाद का वितरण किया। उसके बाद से माता रानी के विदाई का समय हो चला। माता रानी के विदाई के भव्य झांकी निकाली गई। झांकी दुर्गाबाड़ी से निकलकर मैरिस रोड होते हुए केला नगर चौराहे पर रुकने के बाद क्वार्सी चौराहे होते हुए राजघाट के रवाना हो गए। इस दौरान भक्तों ने माता रानी के जयकारे लगाए।