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श्रुत पंचमी : इस दिन पहली बार लिखी गई भगवान महावीर की वाणी

दिगंबर जैन समाज में ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी तिथि को श्रुत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। जैन समाज में इस दिन का विशेष महत्व है। इसी दिन पहली बार जैन धर्मग्रंथ लिखा गया। भगवान महावीर उपदेश देते थे और...

श्रुत पंचमी : इस दिन पहली बार लिखी गई भगवान महावीर की वाणी
लाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutSun, 17 Jun 2018 07:15 PM
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दिगंबर जैन समाज में ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी तिथि को श्रुत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। जैन समाज में इस दिन का विशेष महत्व है। इसी दिन पहली बार जैन धर्मग्रंथ लिखा गया। भगवान महावीर उपदेश देते थे और उनके प्रमुख शिष्य उसे सभी को समझाते थे। तब भगवान महावीर की वाणी को लिखने की परंपरा नहीं थी। उसे सुनकर ही स्मरण किया जाता था, इसीलिए उसका नाम श्रुत था।

श्रुति का शाब्दिक अर्थ है सुना हुआ, यानि ईश्वर की वाणी जो प्राचीन काल में ऋषियों द्वारा सुनी गई थी और शिष्यों द्वारा सुनकर जगत में फैलाई गई। श्रुत परंपरा को आचार्यों द्वारा जीवित रखा गया। तीर्थंकर उपदेश देते थे और उनके गणधर उसे सीखकर सभी को समझाते थे। भगवान महावीर ने जो ज्ञान दिया उसे श्रुत परंपरा के तहत अनेक आचार्यों ने जीवित रखा। गुजरात के गिरनार पर्वत की चन्द्र गुफा में धरसेनाचार्य ने पुष्पदंत एवं भूतबलि मुनियों को सैद्धांतिक देशना दी, जिसे सुनने के बाद मुनियों ने ग्रंथ रचकर ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी को प्रस्तुत किया। उस ग्रंथ को ‘षटखंडागम’ नाम से जाना जाता है।

इस दिन से श्रुत परंपरा को लिपिबद्ध परंपरा के रूप में प्रारंभ किया गया था। इसीलिए यह दिवस श्रुत पंचमी के नाम से जाना जाता है। श्रुत पंचमी के दिन जैन धर्मावलंबी मंदिरों में प्राचीन भाषाओं में हस्तलिखित प्राचीन मूल शास्त्रों को शास्त्र भंडार से बाहर निकालकर, शास्त्र-भंडारों की साफ-सफाई कर, शास्त्रों को नए वस्त्रों में लपेटकर सुरक्षित करते हैं।

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