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श्राद्ध : कर्मकांडी ब्राह्मण से ही कराएं तर्पण

पितृपक्ष में पितरों की संतुष्टि के लिए उनकी पुण्यतिथि वाली तिथि के दिन श्राद्ध किया जाता है। इसके लिए पितरों के निमित्त तर्पण कर उनका आह्वान किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में पितरों के...

श्राद्ध : कर्मकांडी ब्राह्मण से ही कराएं तर्पण
लाइव हिन्दुस्तान टीम, मेरठ Mon, 20 Sep 2021 05:19 PM

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पितृपक्ष में पितरों की संतुष्टि के लिए उनकी पुण्यतिथि वाली तिथि के दिन श्राद्ध किया जाता है। इसके लिए पितरों के निमित्त तर्पण कर उनका आह्वान किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तर्पण करने से उनको संतुष्टि मिलती है और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलने से घर में सुख समृद्धि और शांति बनी रहती है। अगर कर्मकांड में कुछ कमी रह जाए तो माना गया है कि उन्हें मुक्ति नहीं मिलती और उनकी आत्मा मृत्युलोक में भटकती रहती है। 

पितृ पक्ष को मनाने का ज्योतिषीय कारण भी है। ज्योतिषशास्त्र में पितृ दोष काफी अहम माना जाता है, जब आप सफलता के बिल्कुल नजदीक पंहुचकर भी सफलता से वंचित हो जाते हों, संतान संबंधी परेशानियां होती रहती हों, धन हानि बनी रहे आदि तो पितृदोष होने की प्रबल संभावनाएं होती हैं। इसलिये पितृदोष से मुक्ति के लिये पितरों की शांति आवश्यक मानी जाती है। इस कार्य को कर्मकांडी ब्राह्मण से ही कराया जाना चाहिए, ऐसा करना ही अतिउत्तम रहता है।

पंडित अवधराज आचार्य के अनुसार पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाने वाला पर्व पितृ पक्ष 21 सितम्बर से शुरू होगा। इस पितृ पक्ष 16 दिन का होगा और यह 6 अक्तूबर तक चलेगा। भाद्रपद मास की पूर्णिमा के दिन जिनके पूर्वजों की मृत्यु हुई है, वे 20 सितम्बर को ही पितरों का श्राद्ध कर्म करेंगे। कुछ लोग मान रहे हैं। इस समय अपने पितरों (पूर्वजों) के श्राद्ध के लिए उनकी पुण्यतिथि के अनुसार पंडितों को निमंत्रण देने के लिए कर्मकांडी की ब्राह्मण की खोज कर रहे हैं। 

गो, काग व श्वान का ग्रास भी जरूरी 
पौराणिक मान्यता है कि पितर किसी न किसी रूप में अपने परिवार में पहुंचते हैं। इसलिए श्राद्ध कर्म करने के समय गो ग्रास, काग (कौए) का ग्रास और श्वान (कुत्ते) का ग्रास भी निकाला जाता है। जिन घरों में श्राद्ध होता है वह कौए, गाय और कुत्ते का भाग उसे देने के लिए खोजते हुए दिखाई देते हैं। कुत्ते तो सड़क पर घूमते हुए मिल जाते हैं, लेकिन शहर में गाय किसी-किसी घर में ही मिलती है अन्यथा गोशाला जाना पड़ता है। वहीं कौए भी बहुत कम ही दिखाई देते हैं।   

नहीं मिल रहे कर्मकांडी ब्राह्मण 
तर्पण वही ब्राह्मण कर सकता है, जिसे कर्मकांड की पूरी जानकारी हो और जिसने गुरुकुल में पूर्ण शिक्षा ली हो। दरअसल केवल पितरों के निमित ब्राह्मण को भोजन कराने से ही श्राद्ध को पूरा हुआ नहीं माना जाता है बल्कि इसके लिए पितरों के निमित्त तर्पण करना जरूरी होता है। तर्पण कराने के लिए ब्राह्मण का कर्मकांड जानना बहुत जरूरी होना चाहिए। इस समय पितृपक्ष में कर्मकांड जानने वाले ब्राह्मणों की बहुत कमी हैं।

इस प्रकार रहेंगी श्राद्धा तिथि

20 सितंबर 2021- पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध)
21 सितंबर 2021- प्रतिपदा का श्राद्ध
22 सितंबर 2021- द्वितीया का श्राद्ध
23 सितंबर 2021- तृतीया का श्राद्ध
24 सितंबर 2021- चतुर्थी का श्राद्ध
25 सितंबर 2021 - पंचमी का श्राद्ध
26 सितंबर 2021 -षष्ठी का श्राद्ध
27 सितंबर 2021 - सप्तमी का श्राद्ध
28 सितंबर 2021... अष्टमी का श्राद्ध
29 सितंबर 2021- नवमी का श्राद्ध
30 सितंबर 2021- दशमी का श्राद्ध
01 अक्टूबर 2021- एकादशी का श्राद्ध
02 अक्टूबर 2021- द्वादशी का श्राद्ध 
03 अक्टूबर 2021- त्रयोदशी का श्राद्ध
04 अक्टूबर 2021- चतुर्दशी का श्राद्ध
05 अक्टूबर 2021- सर्वपितृ श्राद्ध 

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