पौराणिक कथा: जब पार्वती के बेटे ने मां पर डाली गंदी नजर, शिव ने उतार दिया मौत के घाट
शिव और पार्वती का गणेश और कार्तिकेय के अलावा एक तीसरा पुत्र भी था। उसका नाम अंधक था। शिव ने उसे दैत्य हिरण्याक्ष को दे दिया था, उसने ही अंधकासुर को पाल-पोसकर बड़ा किया था। पढ़ें पौराणिक कहानी...
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पौराणिक कथाओं में भगवान शिव और मां पार्वती के तो दो पुत्रों का ही जिक्र मिलता है। क्या आपको पता है कि शिव-पार्वती का एक और पुत्र भी था जो राक्षस था। उसका नाम था अंधक, जिसे अंधकासुर के नाम से भी जानते थे। वामन पुराण में अंधक का जिक्र मिलता है। अंधक ने एक बार अपनी मां पार्वती पर ही बुरी नजर डाल दी और फिर वो ही उसके पतन का कारण बनी। पढ़ें शिव-पार्वती के तीसरे पुत्र अंधक के जन्म और मृत्यु की कहानी।
वामन पुराण के मुताबिक एक बार शिव और पार्वती काशी पहुंचे। वहां भगवान शिव अपना मुंह पूर्व दिशा की तरफ करके बैठ गए। उसी दौरान पार्वती पीछे से आईं और शिव की दोनों आखें बंद कर दीं। जैसे ही शिव की आंखें बंद हुईं, पूरे संसार में अंधेरा छा गया। संसार को बचाने के लिए शिव ने अपनी तीसरी आंखें खोल दी। संसार में फिर से रोशनी लौट आई, मगर गर्मी इतनी तेज थी कि पार्वती को पसीना आ गया।
पार्वती के पसीने की बूंदों से एक बच्चे का जन्म हुआ। वो बच्चा काफी बड़ा और रौद्र था। उसे देखकर पार्वती अचंभित हो गईं। उन्होंने शिव से इसके जन्म की वजह पूछी। शिव ने कहा कि ये तुम्हारे पसीने से उत्पन्न हुआ है, इसलिए ये हमारा ही पुत्र है। अंधेरे के कारण पैदा होने के चलते उसका नाम अंधक रखा गया।
बाद में राक्षस हिरण्याक्ष ने शिव की आराधना करके उनसे पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा। तब शिव ने हिरण्याक्ष को पुत्र के रूप में अंधक दे दिया। इस तरह अंधक का पालन-पोषण दैत्यों के बीच ही हुआ। अंधक को ये ही पता था कि उसके पिता हिरण्याक्ष हैं और उसकी कोई मां नहीं है। आगे जाकर अंधक असुरों का सरदार बन गया। उसने ब्रह्मा की तपस्या की और यौन लालसा का वरदान मांगा। ब्रह्मा ने उसे वरदान दिया कि वह अपनी मां को छोड़कर किसी भी स्त्री के साथ संबंध बना सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर अंधक ने अपनी मां के साथ संबंध बनाए तो उसकी तुरंत मौत हो जाएगी। अंधक इस वरदान से काफी खुश हो गया। उसे लगा कि उसकी मां तो है ही नहीं, इस तरह उसकी मौत कभी नहीं होगी।
धीरे-धीरे अंधकासुर की शक्तियां बढ़ती गईं। वह देवताओं को हराकर तीनों लोकों का राजा बन गया। एक दिन उसके मन में विवाह करने का विचार आया। उसने तय किया कि वह तीनों लोगों की सबसे सुंदर स्त्री से विवाह करेगा। उस समय पार्वती से सुंदर और कोई स्त्री नहीं थी। अंधक फौरन पार्वती के समक्ष पहुंच गया और विवाह का प्रस्ताव रख दिया।
पार्वती ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और उसे वहां से चले जाने को कहा। अंधक नहीं माना और पार्वती को जबरदस्ती अपने साथ ले जाने लगा। तभी शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने अंधक को बताया कि पार्वती उसकी मां है। फिर गुस्से में शिव ने अंधक का वध कर दिया। कुछ पौराणिक कथाओं में अंधक को ऋषि कश्यप और दिति का पुत्र भी माना जाता है।