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Shiv Ji Ki Aarti : शिवजी की आरती, ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा

aarti shiv ji ki om jai shiv omkara : हिंदू धर्म में आरती का बहुत अधिक महत्व होता है। आरती करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि के पावन दिन शिव जी की आरती जरूर करें।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीMon, 12 Aug 2024 05:51 AM
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Mahashivratri 2024 Shiv Ji Ki Aarti : हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व का बड़ा महत्व है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। धर्मशास्त्र के अनुसार जिस दिन अर्धरात्रि में चतुदर्शी हो, उसी दिन शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के पावन दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। भगवान शंकर की कृपा से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में आरती का बहुत अधिक महत्व होता है। आरती करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि के पावन दिन शिव जी की आरती जरूर करें।

(Shiv Ji Ki Aarti) शिवजी की आरती-

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

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