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शेषनाग ने संभाला पृथ्वी का भार तभी से हो रही नाग देवता की पूजा

श्रावण मास में शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व पूरे देश में श्रद्धा से मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन गोकुलवासियों को कालिया नामक नाग के आतंक से बचाया था। यह भी...

शेषनाग ने संभाला पृथ्वी का भार तभी से हो रही नाग देवता की पूजा
लाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutWed, 15 Aug 2018 02:23 AM
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श्रावण मास में शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व पूरे देश में श्रद्धा से मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन गोकुलवासियों को कालिया नामक नाग के आतंक से बचाया था। यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने शेषनाग को अलंकृत किया और पृथ्वी का भार धारण करने के बाद नाग देवता की पूजा करने की परंपरा आरंभ हो गई।

पौराणिक काल से ही सर्पों को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने वाले को सांप के डसने का भय नहीं होता। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है उनको इस दिन नाग देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर गाय के शुद्ध घी से नाग देवता का चित्र बनाने की परंपरा है।

इस दिन नागों को धारण करने वाले भगवान शिव की पूजा का विशेष विधान है। नाग देवता की पूजा के प्रसाद में खीर बनाई जाती है। नाग पंचमी के दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती है। श्रावण माह में भूमि में हल नहीं चलाना चाहिए और न ही नींव खोदनी चाहिए। नाग देवता को चंदन की सुगंध विशेष प्रिय होती है। इसलिए पूजा में चंदन का प्रयोग करना चाहिए। नाग पंचमी के दिन मनसा देवी की पूजा का विधान भी है। देवी मनसा को नागों की देवी माना गया है। 

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

 

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