शारदीय नवरात्रि 2023 कब से कब तक, जानें कितने दिनों के हैं नवरात्रि, घटस्थापना मुहूर्त, विधि व व्रत नियम
When is Shardiya navratri in 2023: मां दुर्गा के उपासकों के लिए नवरात्रि के नौ दिन बहुत खास माने गए हैं। जानें इस साल कब से शरद नवरात्रि शुरू होंगे और इस पर्व से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ें-

Shardiya navratri kab se chalu hain 2023: नवरात्रि नौ दिनों का त्योहार है जो मां दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ नौ रातें है। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, देवी दुर्गा की 9 अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। दसवें दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। दशमी तिथि को मां दुर्गा की मूर्तियों को जलस्रोत में विसर्जित किया जाता है।
नवरात्रि में की जाती है कलश स्थापना-
भारत के ज्यादातर राज्यों में नवरात्रि मनाई जाती है। हालांकि नवरात्रि पश्चिमी राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्य कर्नाटक में बहुत लोकप्रिय त्योहार है। नवरात्रि के पहले दिन मंत्रोच्चार के साथ पूरे वैदिक अनुष्ठानों के साथ कलश में मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है। कलश में माता रानी के आह्वान को घटस्थापना या कलशस्थापना के रूप में जाना जाता है। कलश स्थापना हमेशा नवरात्रि के पहले दिन ही जाती है।
शारदीय नवरात्रि कब से कब तक रहेंगे-
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल शारदीय नवरात्रि आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होते हैं। इस साल प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और 16 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि में शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ होंगे और 24 अक्टूबर को विजय दशमी का त्योहार मनाया जाएगा।
कितने दिनों के इस बार शारदीय नवरात्रि-
इस साल कोई भी तिथि न ही घट रही और न ही बढ़ रही है। ऐसे में इस साल शरद या शारदीय नवरात्रि पूरे नौ दिनों के पड़ रहे हैं। 15 अक्टूबर से प्रारंभ होकर नवरात्रि 23 अक्टूबर तक रहेंगे। 24 अक्टूबर को विजय दशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 2023-
इस साल 15 अक्टूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना की अवधि 46 मिनट की है।
कलश स्थापना विधि-
1. अनाज बोने के लिए सबसे पहले मिट्टी का चौड़ा बर्तन (जिसका उपयोग कलश रखने के लिए किया जाएगा) लें। गमले में मिट्टी की पहली परत फैलाएं और फिर अनाज के बीज फैलाएं। अगर जरूरी हो तो मिट्टी को सेट करने के लिए गमले में थोड़ा पानी डालें।
2. अब कलश की गर्दन पर पवित्र धागा बांधें और गर्दन तक पवित्र जल भरें। जल में सुपारी, गंध, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालें। कलश को ढक्कन से ढकने से पहले कलश के किनारे पर अशोक की 5 पत्तियां रखें।
3. अब बिना छिले नारियल को लें और इसे लाल कपड़े के अंदर लपेट लें। नारियल और लाल कपड़े को पवित्र धागे से बांध लें।
4. अब तैयार किए गए नारियल को कलश के ऊपर रखें। अंत में कलश को अनाज के बर्तन के बीच में रखें। अब हमारे पास देवी दुर्गा का आह्वान करने के लिए कलश तैयार है।
शारदीय नवरात्रि व्रत नियम-
1. व्रती व्यक्ति को पलंग या गद्दे पर सोने के बजाए जमीन पर सोना चाहिए।
2. व्रत करने वाले व्यक्ति को झूठ नहीं बोलना चाहिए। मन में किसी के लिए पाप नहीं लाना चाहिए।
3. उपवास करने वाले जातक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
4. व्रत करने वाले जातक को तामसी भावनाओं का त्याग करना चाहिए।