Hindi Newsधर्म न्यूज़Sharadiya Navratri 2022: Abhijeet Muhurta of Ghatasthapana will be only 48 minutes know the timing

शारदीय नवरात्रि 2022: केवल 48 मिनट ही रहेगा कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त, जान लें सही समय

शारदीय नवरात्रि 2022: नवरात्रि साल भर में कुल चार बार आते हैं। दो प्रत्यक्ष व दो गुप्त नवरात्रि। शारदीय व चैत्र नवरात्रि प्रत्यक्ष नवरात्रि हैं और आषाढ़ व माघ महीने में गुप्त नवरात्रि।

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 26 Sep 2022 05:26 AM
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Shardiya Navratri 1st Day 2022: शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो गए हैं। नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना या घटस्थापना की जाती है। मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि के त्योहार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। इस साल नवरात्रि 26 सितंबर, सोमवार से शुरू हुए हैं, जो कि 4 अक्टूबर तक रहेंगे। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानी 26 सितंबर को घटस्थापना की जाएगी। जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त व संपूर्ण विधि-

प्रतिपदा तिथि कब से कब तक-

प्रतिपदा तिथि सितम्बर 26, 2022 को 03:23 ए एम बजे से प्रारंभ होगी, जो कि सितम्बर 27, 2022 को 03:08 ए एम बजे समाप्त होगी।

घटस्थापना शुभ मुहूर्त 2022-

आश्विन घटस्थापना सोमवार, सितम्बर 26, 2022 को
घटस्थापना मुहूर्त - 06:11 ए एम से 07:51 ए एम
अवधि - 01 घंटा 40 मिनट
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 11:48 ए एम से 12:36 पी एम
अवधि - 48 मिनट

ऐसे करें कलश स्थापना:

कलश की स्थापना मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए और मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करना चाहिए। सबसे पहले उस जगह को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें। कलश में आम का पत्ता रखें और इसे जल या गंगाजल भर दें। साथ में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ कलश में डालें। कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेट कर रखें। चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। इन्हें लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी की जाती है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें। हाथ में लाल फूल और चावल लेकर मां शैलपुत्री का ध्यान करके मंत्र जाप करें और फूल और चावल मां के चरणों में अर्पित करें। मां शैलपुत्री के लिए जो भोग बनाएं, गाय के घी से बने होने चाहिए। या सिर्फ गाय के घी चढ़ाने से भी बीमारी व संकट से छुटकारा मिलता है।

विशेष मंत्र : ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै। मंगल कामना के साथ इस मंत्र का जप करें।

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