Sharad Purnima 2018 : शरद पूर्णिमा को भगवान कृष्ण की थी रासलीला, जानें इस पर्व की मान्यताएं और महत्व
शरद पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा का पर्व आज 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है। इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन...
शरद पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा का पर्व आज 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है। इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है। इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों देती है। प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था। शरद पूर्णिमा को विशेष प्रयोग करके बेहतरीन सेहत, अपार प्रेम और खूब सारा धन पाया जा सकता है। आगे पढ़ें शरद पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं-
पूर्णिमा तिथि-
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर को रात 10:38 हो चुकी है।
पूर्णिमा तिथि 24 अक्टूबर रात 10:14 बजे समाप्त हो रही है।
शरद पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं-
1. भगवान श्री कृष्ण ने इस दिन की थी रासलीला- इसदिन भगवान श्री कृष्ण ने ‘रास लीला’ की थी। इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते है। इस दिन प्रात: स्नान करके भगवान श्री कृष्ण या श्री विष्णु जी या अपने इष्ट देव का पूजन अर्चना करना चाहिए और उपवास रखना चाहिए।
2. माता लक्ष्मी करती हैं रात्रि में विचरण- शरद पूर्णिमा को कोजागरी व्रत भी किया जाता है और माता लक्ष्मी, कुबेर और इन्द्र देव का पूजन और श्री सूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र और लक्ष्मी मंत्रों का जाप करते है ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी रात्रि में विचरण करती है और भक्तों पर धन-धान्य से पूर्ण करती है।
3. सूई में धारा पिरोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है- चांदनी रात में सुई में धागा पिरोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और प्रात:काल सूर्य उदय से पूर्व इस खीर का प्रसाद के रूप में सेवन करना चाहिए जिससे वर्ष भर अरोग्यता होती है।
4. कोजागरी व्रत भी रखती हैं महिलायें- शरद पूर्णिमा को कोजागरी व्रत भी किया जाता है पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम में विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन किया जाता है । माता लक्ष्मी, कुबेर और इन्द्र देव का पूजन और श्री सूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र और लक्ष्मी मंत्रों का जाप करते है ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी रात्रि में विचरण करती है और भक्तों पर धन-धान्य से पूर्ण करती है।