ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News Astrologyshani sade sati and dhaiya period remedies upay totke how to get blessings of shani dev Astrology in Hindi

मकर, कुंभ, धनु, मिथुन, तुला वाले शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति के लिए कार्तिक मास के पहले शनिवार के दिन करें ये उपाय

हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत अधिक महत्व होता है। कल कार्तिक मास का पहला शनिवार है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन विधि- विधान से शनिदेव की पूजा की जाती है। इस समय मकर, कुंभ,...

मकर, कुंभ, धनु, मिथुन, तुला वाले शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति के लिए कार्तिक मास के पहले शनिवार के दिन करें ये उपाय
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 23 Oct 2021 04:17 PM

इस खबर को सुनें

0:00
/
ऐप पर पढ़ें

हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत अधिक महत्व होता है। कल कार्तिक मास का पहला शनिवार है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन विधि- विधान से शनिदेव की पूजा की जाती है। इस समय मकर, कुंभ, धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती और मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या लगने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति के लिए कार्तिक मास के पहले शनिवार के दिन दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ जरूर करें। दशरथ कृत शनि स्तोत्र की रचना भगवान श्री राम के पिताजी राजा दशरथ ने की थी। दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। आगे पढ़ें दशरथ कृत शनि स्तोत्र....

पति के लिए भाग्यशाली होती हैं इन राशियों की लड़कियां, बदल देती हैं किस्मत

  • राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
 
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
 
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ  वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
 
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
 
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
 
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
 
तपसा दग्धदेहाय नित्यं  योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
 
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
 
देवासुरमनुष्याश्च  सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
 
प्रसाद कुरु  मे  देव  वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद  सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें