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Sawan Somwar 2021 : सावन के दूसरे सोमवार पर मकर, कुंभ ,धनु, मिथुन और तुला राशि वाले जरूर करें ये उपाय, शनि का अशुभ प्रभाव होगा कम

Sawan Somwar 2021 : इस समय सावन का पावन माह चल रहा है। हिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है। सावन का माह देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। सावन के महीने में विधि- विधान से...

Sawan Somwar 2021 : सावन के दूसरे सोमवार पर मकर, कुंभ ,धनु, मिथुन और तुला राशि वाले जरूर करें ये उपाय, शनि का अशुभ प्रभाव होगा कम
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSun, 01 Aug 2021 12:32 PM
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Sawan Somwar 2021 : इस समय सावन का पावन माह चल रहा है। हिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है। सावन का माह देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। सावन के महीने में विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शंकर की कृपा से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शंकर अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। हर व्यक्ति शनि के अशुभ प्रभावों से भयभीत रहता है। शनि के अशुभ प्रभावों से व्यक्ति का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। इस समय मकर, कुंभ ,धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या लगने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भगवान शंकर के भक्तों पर शनि का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित लोगों को सावन के माह में विधि- विधान से पूजा- अर्चना करनी चाहिए। सावन के पावन माह में रोजाना शिवलिंग पर जल अर्पित करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सावन के सोमवार का महत्व और भी अधिक होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शंकर को समर्पित होता है। सावन के दूसरे सोमवार के दिन भगवान शंकर को जल अर्पित करें और इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें....

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  • ॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥

मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
 

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