Sawan 2019: खास है ये सावन माह, इस तरह करें भगवान शिव की पूजा
Sawan 2019: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आज से शुरू हो गया है। इस बार यह पूरे 30 दिन तक रहेगा। 4 सोमवार और 4 मंगलवार पड़ने की वजह से इसे विशेष शुभ माना जा रहा है। इस माह के दौरान सोमवार व्रत...
Sawan 2019: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आज से शुरू हो गया है। इस बार यह पूरे 30 दिन तक रहेगा। 4 सोमवार और 4 मंगलवार पड़ने की वजह से इसे विशेष शुभ माना जा रहा है। इस माह के दौरान सोमवार व्रत से भगवान शिव को प्रसन्न कर मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इसमें आप भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न कर सकते है। मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कहा जाता है कि सावन माह में पड़ने वाले चारों सोमवार को पूजा-पाठ और रुद्राभिषेक से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा नागपंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सावन माह सबसे उत्तम माना गया है। ज्योतिषाचार्य राजकुमार शास्त्री सावन मास में सोमवार का विशेष महत्व है। शिव महापुराण के अनुसार शिव की उपासना और व्रतधारी को ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव का अभिषेक जल/गंगाजल से करें। सावन के महीने का 15 अगस्त को अंतिम दिन होगा।
महामृत्युंजय महामंत्र का जाप करें
श्रावण मास में सोमवार को संकटमोचक महामृत्युंजय महामंत्र का जाप करने से साधक के कष्ट तुरंत समाप्त हो जाते हैं। यदि पूर्ण एकाग्रता के साथ श्रावण मास में साधना प्रारम्भ की जाए तो समस्त भय और संकटों से मुक्ति मिल जाती है। शिव पुराण, मंत्र शास्त्र, मंत्र संहिता आदि विभिन्न ग्रंथों में इसका विशेष उल्लेख किया किया गया है। श्रावण मास में सोमवार के दिन प्रात: काल नित्य क्रिया से निवृत्त होकर एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाएं और उस पर अष्टगंध से ‘ऊं नम: शिवाय’ लिखें तथा उसी के ठीक नीचे अपना नाम लिखें और उसके नीचे पुन: ‘ऊं नम: शिवाय’ लिखें। इसके बाद रुद्राक्ष माला को मंत्र के ऊपर स्थापित कर दें और श्वेत पुष्प, चन्दन, अक्षत आदि से ‘ऊं नम: शिवाय’ का उच्चारण करते हुए माला का पूजन कर प्रार्थना करें, भगवान शंकर हमारी रक्षा करें।
Sawan 2019: सावन माह शुरू, इस तरह करें भगवान शिव को प्रसन्न
माला पूजन के बाद एक अलग चौकी पर शिवलिंग, श्री गणेश, कार्तिकेय और नन्दी को स्थापित कर उनका पूजन करें। शिवलिंग का अभिषेक क्रमश: गंगाजल, गाय के दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पंचामृत, गंगाजल से करें और वस्त्र, यज्ञोपवीत, चन्दन, अक्षत, सुगन्धित पुष्प, बेलपत्र, बेल, धतूरा, नैवेद्य, फल, ताम्बूल, द्रव्य आदि ‘ऊं नम: शिवाय’ का उच्चारण करते हुए अर्पित करें। इसके बाद चावल की पांच ढेरी पर एक-एक रुद्राक्ष स्थापित कर शिव के पांच स्वरूपों का पूजन क्रमश: इन मंत्रों से करें- ‘ऊं साधो जातय नम:’, ‘ऊं वाम देवाय नम:’, ‘ऊं अघोराय नम:’, ‘ऊं तत्पुरुषाय नम:’, ‘ऊं ईशानाय नम:’।
इसके बाद ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र से 51 कमल गट्टा अर्पित करें। ‘ऊं शाम्ब सदाशिवाय’ मंत्र से 21 धतूरा, बिल्व पत्र अर्पित करें। ‘ऊं गौरी शंकराय नम:’ मंत्र से 21 धतूरा पुष्प अर्पित करें। ‘ऊं ह्रीं शंकराय नम:’ मंत्र से यथाशक्ति द्रव्य अर्पित करें।
सर्वोत्तम मास है सावन, निर्धनों को अवश्य कराएं भोजन
सर्वप्रथम ‘ऊं शं शंकराय भवेद भवाय शं ऊं नम’ तथा ‘ऊं हर महेश्वर, शूलपाणि, पिनाक धृक, पशुपति, शिव, महादेव, ईशान, नम: शिवाय’ का उच्चारण 11-11 बार हाथ जोड़कर पूर्ण एकाग्रता के साथ करें। शिव पूजन के उपरांत पूजित रुद्राक्ष माला से शिव स्वरूप का ध्यान करते हुए महामृत्युंजय मंत्र की पांच माला जप करें। मंत्र- ‘ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात॥’ जप समाप्त कर शिव आरती करें।
इस तरह करें शिवजी का पूजन
शिव पूजन का विधान श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को करें और अंतिम सोमवार को गाय के घी में कपूर मिला कर महामृत्युंजय मंत्र से 108 आहुति अग्नि में दें और रुद्राक्ष माला को गले में धारण कर लें। इसके अतिरिक्त श्रावण मास में प्रतिदिन गंगा जल में गाय का दूध मिला कर शिवलिंग का अभिषेक कर चन्दन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल चढ़ाएं।