सर्वोत्तम मास है सावन, निर्धनों को अवश्य कराएं भोजन
सावन माह भगवान शिव को अति प्रिय है। इसलिए इस मास को सर्वोत्तम मास कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव सावन माह में ही पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत जलाभिषेक से किया गया...
सावन माह भगवान शिव को अति प्रिय है। इसलिए इस मास को सर्वोत्तम मास कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव सावन माह में ही पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत जलाभिषेक से किया गया था। मान्यता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। इस माह में निर्धनों को भोजन कराने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती है और पितरों को भी शांति प्राप्त होती है।
सावन मास में शिवलिंग पर बेलपत्रों पर चंदन से 'ॐ नम: शिवाय' लिखकर अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस माह में शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध अर्पित करने से विवाह संबंधी हर बाधा दूर हो जाती है। इसी माह में श्रावण सोमवार, मंगला गौरी व्रत, हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज, नागपंचमी, रक्षाबंधन आदि त्योहार आते हैं। हरियाली तीज और हरियाली अमावस्या पर भगवान शिव के पूजन का बहुत महत्व है। नागपंचमी पर नाग देवता का पूजन करने से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इस माह भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। शिव परिवार का पूजन करने से धन, सुख, संपत्ति, स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह माह आशाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है। सावन माह में प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव पर जल अर्पित करना शुभ और फलदायी माना जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।