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Saturn Transit 2020: शनि का मकर राशि में परिवर्तन, जानें क्या होती है शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या

Saturn Transit 2020: सूर्यपुत्र और न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि देव, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि, 24 जनवरी 2020 को दोपहर करीब 12 बजकर 10 मिनट पर धनु राशि को छोड़कर अपनी राशि मकर में...

Saturn Transit 2020: शनि का मकर राशि में परिवर्तन, जानें क्या होती है शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या
लाइव हिन्दुस्तान टीम ,नई दिल्लीSat, 25 Jan 2020 08:44 PM
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Saturn Transit 2020: सूर्यपुत्र और न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि देव, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि, 24 जनवरी 2020 को दोपहर करीब 12 बजकर 10 मिनट पर धनु राशि को छोड़कर अपनी राशि मकर में प्रवेश कर चुके हैं। शानि का यह राशि परिवर्तन कई मायनों में खास बताया जा रहा है। दरअसल, इस बार शनिदेव ने पूरे 30 साल बाद अपनी राशि मकर में प्रवेश किया है। शनि की गति धीमी होने की वजह से वो एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहते हैं। लेकिन शनि के राशि परिवर्तन से साढ़ेसाती आरंभ हो जाती है। आइए जानते हैं आखिर क्या होती है शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या।  

शनि की साढ़ेसाती- 
ज्योतिशास्त्र के अनुसार जब कभी शनि किसी एक राशि में प्रवेश करते हैं तो उस राशि में लगभग ढाई साल तक बने रहते हैं। ढाई साल बाद ही शनि का दूसरी राशि में परिवर्तन होता है। ज्योतिष गणना के अनुसार चंद्र राशि से जब शनि 12वें भाव, पहले भाव व द्वितीय भाव से निकलते हैं। उस अवधि को शनि की साढ़े साती कहा जाता है। 

शनि जिस भी राशि में गोचर करते हैं तो राशि क्रम के हिसाब से उस राशि के आगे और पीछे वाली राशियों पर भी अपना प्रभाव डालते हैं। इस तरह शनि एक राशि में ही साढ़े सात साल तक बने रहते हैं। इस समय को ही शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। शनि की चाल जैसे-जैसे आगे बढ़ती है व्यक्ति की साढ़ेसाती उतरती रहती है।

शनि की ढैय्या-
शनि जब जन्म राशि से चतुर्थ और अष्टम भाव में बना रहता है तो उसे शनि की ढैय्या कहा जाता है। शनि की ढय्या एक राशि पर साढ़े सात साल और दूसरी पर लगभग 16 साल बाद आती है। ध्यान रखें शनि जिस राशि में प्रवेश करता है उससे क्रम अनुसार पहले की चौथी और बाद वाली छठी राशि पर शनि की ढैय्या बनी होती है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़े साती को तीन चरण में बांटा गया है। साढ़े साती का पहला चरण धनु, वृषभ, सिंह राशि वाले लोगों के लिए कष्टकारी रहता है। दूसरा या मध्य चरण सिंह, मकर, मेष, कर्क, वृश्चिक राशियों के लिए अच्छा नहीं समझा जाता है और तीसरा चरण मिथुन, कुंभ, तुला, वृश्चिक, मीन राशि के लिए कष्टकारी होता है।

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