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सबरीमाला: 70 हजार श्रद्धालुओं ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए

केरल के सबरीमाला में भगवान अयप्पा के विश्व प्रसिद्ध मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। सोमवार तड़के से मंदिर के बाहर लंबी कतारें लगी हुई हैं। 16 नवंबर से मंदिर के...

सबरीमाला: 70 हजार श्रद्धालुओं ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए
एजेंसी ,कोच्चीTue, 19 Nov 2019 08:11 AM
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केरल के सबरीमाला में भगवान अयप्पा के विश्व प्रसिद्ध मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। सोमवार तड़के से मंदिर के बाहर लंबी कतारें लगी हुई हैं। 16 नवंबर से मंदिर के कपाट खुलने के बाद से अब तक 70 हजार श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना कर चुके हैं।

पुलिस ने बताया कि दो माह तक चलने वाली मंडला-मकरविलक्कू पूजा के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मंदिर में भारी भीड़ को देखते हुए श्रद्धालुओं ने पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के आरोप लगाए हैं। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सबरीमाला पर उच्चतम न्यायालय के पिछले वर्ष 28 सितंबर के फैसले पर अमल करने का निर्णय किया था जिसके बाद व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी। 

सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने पाबंदियां लगाई थीं। इस बार किसी प्रकार की पाबंदी नहीं होने के कारण श्रद्धालु प्रसन्न हैं। इस संबंध में एक श्रद्धालु ने कहा कि वह शांति के वातावरण को देखते हुए और पूजा-अर्चना के वास्ते आने वालों के लिए किसी प्रकार की पाबंदी नहीं होने से खुश हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी ए के सुधीर नंबूदरी ने तड़के सुबह मंदिर का गर्भगृह खोला और नैब्याभिषेक के अलावा विशेष पूजा अर्चना की।
 
उच्चतम न्यायालय ने भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रतिबंधित आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने के अपने पिछले आदेश पर रोक नहीं लगाई है, इसके बावजूद शनिवार को आंध्र प्रदेश से 30 लोगों के समूह में शामिल 10 महिलाओं को पम्पा से ही लौटा दिया गया क्योंकि उनकी उम्र 10 से 50 साल के बीच थी।

केरल सरकार ने पिछले साल युवा महिला श्रद्धालुओं को मंदिर आने के दौरान सुरक्षा मुहैया कराई थी लेकिन इस बार उसने स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रचार के लिए आने वाली महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं करेगी।
 
केरल के कानून मंत्री ए के बालन ने रविवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय की ओर से 28 सितंबर 2018 को सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश देने के आदेश पर वस्तुत: रोक लग गई है और सरकार केवल अदालत के आदेश के आधार पर ही कार्रवाई कर सकती है।  

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