Rishi Panchami Vrat 2021 : ऋषि पंचमी व्रत में अवश्य सुने या पढ़ें ये कथा, वरना अधूरा माना जाता है व्रत
Rishi Panchami Vrat 2021 : हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का बहुत अधिक महत्व है। आज ऋषि पंचमी व्रत है। इस पावन दिन सप्त ऋर्षियों का पूजन किया जाता है। महिलाएं इस दिन सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त...
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Rishi Panchami Vrat 2021 : हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का बहुत अधिक महत्व है। आज ऋषि पंचमी व्रत है। इस पावन दिन सप्त ऋर्षियों का पूजन किया जाता है। महिलाएं इस दिन सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त करने और सुख शांति एवं समृद्धि की कामना से यह व्रत रखती हैं। हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर ऋषि पंचमी व्रत पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं की माहवारी के दौरान अनजाने में हुई धार्मिक गलतियों और उससे मिलने वाले दोषों से रक्षा करने के लिए यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पावन दिन व्रत कथा सुननी या पढ़नी चाहिए। आगे पढ़ें ऋषि पंचमी व्रत कथा...
Rishi Panchami Vrat Katha : विदर्भ देश में एक सदाचारी ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिसका नाम सुशीला था। उस ब्राह्मण के एक पुत्र और एक पुत्री थी। विवाह योग्य होने पर उसने समान कुलशील वर के साथ कन्या का विवाह कर दिया। कुछ दिनों बाद वह विधवा हो गई। दुखी ब्राह्मण दम्पति कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।
Rishi Panchami Vrat 2021 : ऋषि पंचमी व्रत कल, नोट कर लें शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि
एक दिन ब्राह्मण कन्या सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया। कन्या ने सारी बात मां से कही। मां ने अपने पति से सब कहते हुए पूछा- प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की यह गति होने का क्या कारण है?
ब्राह्मण ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया- पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी। इसने रजस्वला होते ही बर्तन छू दिए थे। इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा-देखी ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं।
धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुख दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में अटल सौभाग्य प्राप्त करेगी।
पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई। अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय सुखों का भोग मिला।