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गुरुदेव ने दिया था गांधीजी को महात्मा का विशेषण

गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूंकने वाले थे। साहित्य की शायद ही ऐसी कोई विधा हो, जिनमें उनकी रचना न हो। उन्हें बचपन से ही प्रकृति का सानिध्य भाता था। उन्होंने करीब...

गुरुदेव ने दिया था गांधीजी को महात्मा का विशेषण
लाइव हिन्दुस्तान टीम,meerutWed, 08 May 2019 02:47 AM
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गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूंकने वाले थे। साहित्य की शायद ही ऐसी कोई विधा हो, जिनमें उनकी रचना न हो। उन्हें बचपन से ही प्रकृति का सानिध्य भाता था। उन्होंने करीब 2,230 गीतों की रचना की। वह एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्होंने दो देशों के लिए राष्ट्रगान लिखा। टैगोर ने ही गांधाजी को महात्मा का विशेषण दिया। काव्यरचना गीतांजलि के लिए उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला।

मात्र 15 वर्ष की आयु में ही उनकी सर्वप्रथम काव्य कृति कवि कथा के नाम से भारती पत्रिका में प्रकाशित हुई। कुछ लोगों का मानना है कि उनकी प्रथम कविता भारत भूमि थी, जो 1874 में बंग दर्शन में प्रकाशित हुई थी। वन फूल नामक उनका काव्य संग्रह भी इन्हीं दिनों प्रकाशित हुआ था। मात्र 15-16 वर्ष की आयु में ही उन्होंने अपनी पहचान स्थापित कर दी थी। कविता, कथा, उपन्यास, नाटक सभी विधाओं में उन्होंने रचना की। उनकी कृतियों में गीतांजली, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं। उन्होंने कुछ पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया। इसके बाद उनकी प्रतिभा पूरे विश्व में फैली।

1915 में उन्हें अंग्रेजों द्वारा ‘सर’ की उपाधि दी गई, जिसे उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के विरोध में वापस कर दिया था। 1913 में गीतांजलि के लिए उन्हें साहित्य का नोबल पुरस्कार मिला। उनकी गद्य में लिखी छोटी कहानियों को सबसे अधिक लोकप्रिय माना जाता है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के लिए कला मनुष्य को दुनिया से जोड़ने का माध्यम थी।

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