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रामनवमी पर बिना विचार किए जा सकतें हैं मंगल कार्य

चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को भारतवर्ष में हिंदू संप्रदाय श्रीराम के जन्मदिन यानि कि रामनवमी के रूप में मनाता है। आइये जानते हैं क्या है रामनवमी की पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में। भगवान...

रामनवमी पर बिना विचार किए जा सकतें हैं मंगल कार्य
लाइव हिन्दुस्तान टीम,मेरठ Sun, 25 Mar 2018 02:36 AM
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चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को भारतवर्ष में हिंदू संप्रदाय श्रीराम के जन्मदिन यानि कि रामनवमी के रूप में मनाता है। आइये जानते हैं क्या है रामनवमी की पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में।

भगवान श्रीराम का जन्म
माना जाता है कि भगवान श्री राम का जन्म चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी को अयोध्या में हुआ। अगस्त्यसंहिता के अनुसार श्रीराम का जन्म दिन के 12 बजे हुआ था। इस समय पुनर्वसु नक्षत्र व कर्क लग्न था। इस समय ग्रहों की दशा के अनुसार भगवान राम ने मेष राशि में जन्म लिया, जिस पर सूर्य एवं अन्य पांच ग्रहों की शुभ दृष्टि पड़ रही थी।

माता कौशल्या की कोख से जन्म लेने पर भगवान विष्णु के मानव अवतार लेने पर इस जन्मोत्सव का आनंद देवताओं, ऋषियों, किन्नरों, चारणों सहित अयोध्या नगरी की समस्त जनता ले रही थी। इतना ही नहीं यह भी माना जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना भी रामनवमी के दिन ही शुरू की थी।

कब है श्रीराम नवमी
इस वर्ष रामनवमी का पावन पर्व 25 मार्च को है। यह नवरात्र का अंतिम दिन भी होता है।

श्रीराम नवमी पूजा मुहूर्त 11.14 से 1.40 बजे

श्रीराम नवमी तिथि आरंभ-08.08 बजे, 25, मार्च-2018

श्रीराम नवमी तिथि समाप्त-05.26 बजे, 26 मार्च-2018


श्रीराम नवमी व्रत व पूजा विधि
हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के रामनवमी बहुत ही शुभ दिन होता है। माना जाता है कि सभी प्रकार के मांगलिक कार्य इस दिन बिना मुहूर्त विचार किये भी संपन्न किए जा सकते हैं। रामनवमी पर पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि के लिए व्रत भी रखा जाता है। रामनवमी पर पूजा के लिए पूजा सामग्री में रोली, ऐपन, चावल, स्वच्छ जल, फूल, घंटी, शंख आदि लिया जा सकता है।

भगवान श्रीराम और माता सीता व लक्ष्मण की मूर्तियों पर जल,रोली और ऐपन अर्पित करें,तत्पश्चात मुट्ठी भरकर चावल चढायें। फिर भगवान राम की आरती,रामचालीसा या राम स्त्रोतम का पाठ करें। आरती के बाद पवित्र जल को आरती में सम्मिलत सभी जनों पर छिड़कें। अपनी आर्थिक क्षमता व श्रद्धानुसार दान-पुण्य भी अवश्य करना चाहिये।

श्रीरामनवमी के दिन उपवास रखने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठ कर घर की साफ सफाई कर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए। जिस समय व्रत कथा सुनें उस समय हाथ में गेंहू या बाजरा आदि अन्न के दाने रखें। घर, पूजाघर या मंदिर को ध्वजा, पताका, बंदनवार आदि से सजाया भी जा सकता है।

 

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