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रक्षाबंधन 2019: जानें द्रौपदी-श्री कृष्ण, बलि-मां लक्ष्मी से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी, कैसे शुरू हुआ यह त्योहार

शिवजी के प्रिय श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन होने वाला यह पावन पर्व महाराज दशरथ के हाथों अपने माता-पिता के साथ तीर्थयात्रा कर रहे श्रवण कुमार की मृत्यु से भी जुड़ा हुआ है। इस दिन रक्षा सूत्र सर्वप्रथम...

रक्षाबंधन 2019: जानें द्रौपदी-श्री कृष्ण, बलि-मां लक्ष्मी से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी, कैसे शुरू हुआ यह त्योहार
हिन्दुस्तान स्मार्ट टीम,नई दिल्लीTue, 13 Aug 2019 03:28 PM
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शिवजी के प्रिय श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन होने वाला यह पावन पर्व महाराज दशरथ के हाथों अपने माता-पिता के साथ तीर्थयात्रा कर रहे श्रवण कुमार की मृत्यु से भी जुड़ा हुआ है। इस दिन रक्षा सूत्र सर्वप्रथम गणेश जी को बांधने के बाद श्रवण कुमार को ही अर्पण किया जाता है। अगर आप अपने शत्रुओं से परेशान हैं तो इस दिन वरुण देवता की पूजा करें। वरुण देवता की पूजा आपके शत्रुओं का नाश कर देगी। 

श्रावण मास पूर्णिमा को मनाए जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है। इस त्योहार का प्रचलन सदियों पुराना है। पौराणिक कथा के अनुसार इस त्योहार की परंपरा उन बहनों ने रखी जो सगी बहनें नहीं थीं। राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान, वामन अवतार लेकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे। भगवान ने तीन पग में आकाश, पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। तब राजा बलि ने अपनी भक्ति से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया।

तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाया और भेंट में अपने पति को साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी।  महाभारत में जब भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी अंगुली में चोट आ गई। द्रौपदी ने अपनी साड़ी को फाड़कर उनकी अंगुली पर पट्टी बांध दी। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। भगवान श्रीकृष्ण ने इस उपकार का बदला चीरहरण के समय द्रौपदी की लाज बचाकर चुकाया। 

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