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Raksha bandhan 2018: पढ़ें रक्षा बंधन से जुड़ी कथाएं

श्रावण मास पूर्णिमा को मनाए जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है। इस त्योहार का प्रचलन सदियों पुराना है। पौराणिक कथा के अनुसार इस त्योहार की परंपरा उन बहनों ने रखी जो...

Raksha bandhan 2018: पढ़ें रक्षा बंधन से जुड़ी कथाएं
लाइव हिन्‍दुस्‍तान टीम,नई दिल्लीSat, 25 Aug 2018 06:02 PM
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श्रावण मास पूर्णिमा को मनाए जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है। इस त्योहार का प्रचलन सदियों पुराना है। पौराणिक कथा के अनुसार इस त्योहार की परंपरा उन बहनों ने रखी जो सगी बहनें नहीं थी। राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान, वामन अवतार लेकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे। भगवान ने तीन पग में आकाश, पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। तब राजा बलि ने अपनी भक्ति से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाया और भेंट में अपने पति को साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। 

महाभारत में जब भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी अंगुली में चोट आ गई। द्रौपदी ने अपनी साड़ी को फाड़कर उनकी अंगुली पर पट्टी बांध दी। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। भगवान श्रीकृष्ण ने इस उपकार का बदला चीरहरण के समय द्रौपदी की लाज बचाकर चुकाया। 

एक अन्य प्रसंग के अनुसार रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा अपने राज्य पर हमला करने की सूचना मिली। रानी ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने राखी की लाज रखी और बहादुरशाह के विरुद्ध युद्ध कर कर्मावती के राज्य की रक्षा की। कहा जाता है कि सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के शत्रु पुरू को राखी बांधकर अपना भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को नहीं मारने का वचन लिया। पुरू ने बहन को दिए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दिया। 

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इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

 

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